सत्यखबर, चेन्नई
सभी जातियों के अभ्यर्थियों को मंदिरों में पुजारी नियुक्त करने का अपना चुनावी वादा पूरा करते हुए तमिलनाडु की द्रमुक नीत सरकार ने शनिवार को विभिन्न जातियों के 24 प्रशिक्षित अर्चकों यानि पुजारियों को नियुक्ति दी है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विभिन्न श्रेणियों में पदों पर नियुक्ति करते हुए 75 लोगों को हिन्दू धर्म और परमार्थ अक्षय निधि विभाग का नियुक्ति आदेश सौंपा। वहीं हिंदू धार्मिक मामलों के विभाग द्वारा संचालित मदुरै के मंदिरों में दो गैर-ब्राह्मण पुजारी पी महाराजन और एस अरुण कुमार नियुक्त किए गए हैं। यह जानकारी कल रविवार को मंदिर संयुक्त आयुक्त के चेल्लादुरै ने दी है। नियुक्ति पाने वालों में 24 अभ्यर्थी ऐसे हैं। जिन्होंने हिंदू मंदिरों में पुजारी बनने के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रशिक्षण केंद्र से अपना प्रशिक्षण पूरा किया है। वहीं 34 लोगों ने अन्य पाठशालाओं से अर्चक पुजारियों का प्रशिक्षण पूरा किया है।
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सरकार ने बताया कि जिन 208 लोगों को नियुक्ति दी गई है। उनमें भट्टाचार्य, ओधुवर्य पुजारी और तकनीकी और कार्यालय सहायक शामिल हैं। इन सभी को तय प्रक्रिया के तहत नियुक्ति दी गई है। भट्टाचार्य जहां वैष्णव पुजारी हैं, वहीं ओधुवर्य को तमिल शैव परंपराओं में प्रशिक्षित किया जाता है। जो भगवान शिव का गुणगान करने के लिए अप्पार और माणिकवसागर सहित शैव संतों द्वारा रचित स्तोत्रों का गान करते हैं।
14 अगस्त को तमिलनाडु में द्रमुक का सरकार बने 100 दिन हो गए हैं। पार्टी ने राज्य में छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में आश्वासन दिया था कि मंदिरों में पुजारी पद के लिए प्रशिक्षण पूरा करने वाले सभी जातियों के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी। स्टालिन ने सात मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।सुधारवादी नेता थनाथई पेरियार ई वी.रामास्वामी का संदर्भ देते हुए सरकार ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि उन्होंने ईश्वर में आस्था रखने वाले सभी लोगों के लिए पूजा के समान अधिकार की लड़ाई लड़ी।ब्यान के अनुसार उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के नेतृत्व वाली तत्कालीन द्रमुक सरकार 2006 से 11 ने हिन्दुओं के सभी जातियों से ताल्लुक रखने वालों को मंदिरों का पुजारी नियुक्त करने के लिए सरकारी आदेश जारी किया था
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