सत्य खबर, नई दिल्ली। नगालैंड के मोन जिले में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षाबलों की गोलियों से कम से कम 14 लोगों की मौत व 11 अन्य के घायल होने की घटना पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को संसद में बयान दिया. उन्होंने कहा कि ये घटना एक गलत पहचान के चलते हुई. अमित शाह ने बताया कि सेना को ओटिंग (मोन) में चरमपंथियों की गतिविधि की सूचना मिली थी. इसी आधार पर 21 कमांडो ने संदिग्ध इलाके में घात लगाकर हमला किया.
उन्होंने कहा कि एक वाहन वहां पहुंचा, उसे रुकने का इशारा किया लेकिन उसने भागने की कोशिश की. चरमपंथियों को ले जा रहे वाहन के संदेह में, उस पर गोली चलाई गई जिसके चलते ये हादसा हुआ. इससे पहले पुलिस ने रविवार को बताया था कि गोलीबारी की पहली घटना संभवत: गलत पहचान का मामला थी. इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई
अमित शाह ने कहा, “वाहन में सवार 8 लोगों में से 6 की मौत हो गई. बाद में पता चला कि यह गलत पहचान का मामला है.
घायल हुए 2 अन्य लोगों को सेना द्वारा निकटतम स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. इसकी खबर मिलते ही स्थानीय ग्रामीणों ने सेना की युनिट को घेर लिया, 2 वाहनों में आग लगा दी और उन पर हमला कर दिया.” उन्होंने कहा, “परिणामस्वरूप, सुरक्षा बलों का एक जवान शहीद हो गया; कई अन्य जवान घायल हुए. सुरक्षा बलों को आत्मरक्षा के लिए और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग का सहारा लेना पड़ा. इससे 7 और नागरिकों की मौत हो गई, कुछ अन्य घायल हो गए. स्थानीय प्रशासन-पुलिस ने स्थिति सामान्य करने की कोशिश की.”
बता दें कि गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदान कर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौट रहे थे. सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें छह मजदूरों की जान चली गई.
पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले तथा इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया. इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई.
इसके बाद सैनिकों द्वारा आत्मरक्षार्थ की गई गोलीबारी में सात और लोगों की जान चली गई. इस घटना के खिलाफ उग्र विरोध और दंगों का दौर रविवार अपराह्न भी जारी रहा और गुस्साई भीड़ ने आज कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स कैंप के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और उसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी. सुरक्षा बलों द्वारा हमलावरों पर की गई जवाबी गोलीबारी में कम से कम एक और नागरिक की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए. उग्र भीड़ गोलीबारी के घटना में शामिल सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रही थी.
लोकसभा में दिए अपने बयान में अमित शाह ने कहा, “मौजूदा स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है. 5 दिसंबर को नागालैंड के डीजीपी और कमिश्नर ने साइट का दौरा किया. प्राथमिकी दर्ज कर गंभीरता को ध्यान में रखते हुए राज्य अपराध पुलिस थाने को सौंप दी गई है. एसआईटी गठित की गई है और एक माह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है.”
इससे पहले नगालैंड सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से “भड़काऊ वीडियो, तस्वीरों या लिखित सामग्री के प्रसार” को रोकने के लिए जिले में मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं के साथ-साथ एक साथ कई एसएमएस करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. जिले में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध के बावजूद, हालांकि भीड़ द्वारा मोन में कोन्याक यूनियन कार्यालय और असम राइफल्स कैंप में तोड़फोड़ करने के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं.
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