हरियाणा

नरवाना के रैस्ट हाउस में आदर्श चुनाव आचार संहिता के चलते मुख्यमंत्री को रूकने से किया मना

सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-

लोकसभा चुनाव के चलते प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई थी और जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा सरकारी रेस्ट हाऊस में प्रशासनिक अधिकारी व नेताओं के ठहरने व बैठक करने की अनुमति नहीं, के आदेश दिये गये थे। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल जब सिरसा के डबवाली से प्रचार करने के बाद हेलिकॉप्टर से वापिस चंडीगढ जाने के लिए रवाना होने वाले थे, तो पायलट द्वारा मौसम खराब होने व तेज आंधी का हवाला देते हुए हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने मेें असमर्थता जताई। जिसके बाद मुख्यमंत्री लगभग एक घंटा इंतजार करते रहे, लेकिन उसके बाद भी हेलिकॉप्टर की उड़ान नहीं हो सकती थी। इसके बाद मुख्यंमत्री मनोहर लाल को चंडीगढ़ पहुंचना था, तो वे गाड़ी से नरवाना की ओर रवाना हो गये। परंतु नरवाना में तेज आंधी व तूफान आया हुआ था, जिस कारण बीच रास्ते में अनहोनी का अंदेशा था, तो उन्होंने जींद उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. आदित्य दहिया से फोन पर सूचना दी कि वे नरवाना में ठहरेंगे। लेकिन जींद उपायुक्त चुनाव आचार संहिता का हवाला देते हुए कहा कि वे नरवाना में रात्रि विश्राम नहीं कर सकते। उनको कहा गया कि या तो वे अपने विधानसभा में ठहर सकते हैं या चण्डीगढ़। वहीं इस बारे में हरियाणा चुनाव आयोग से भी बात की गई, तो उन्होंने भी जिला निर्वाचन अधिकारी की बात को दोहराया। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल देर शाम लगभग 7 बजे हरियल रेस्ट हाऊस पहुंचे और वहां पुलिस अधिकारियों व सुरक्षा कर्मियों के अलावा अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई। मुख्यंमत्री मनोहर लाल रेस्ट हाऊस में लगभग एक से डेढ घंटा तक रूके और उन्होंने वहां खाना खाया। इसके बाद लगभग 8.30 बजे मौसम साफ होने के बाद चण्डीगढ़ की ओर रवाना हो गये। रेस्ट हाऊस में मुख्यमंत्री के ठहराने संबंधी मामला जब एडवोकेट जनरल के संज्ञान में आया, तो सरकार हाइकोर्ट की शरण में चली गई और उसके बाद हाइकोर्ट के मुख्य न्यायधीश कृष्ण मुरारी के पास पहुंचे और केस की रात में सुनवाई करने की अपील की। जिस पर मुख्य न्यायधीश ने जस्टिस राजीव शर्मा व एचएस सिद्धू की बेंच गठित करने के बाद हरियाणा चुनाव आयोग के वकीलों को सुनवाई पर बुलाया गया, जिस पर 30 मिनट की बहस होने के बाद हाइकोर्ट ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को ठहराने के आदेश दे दिये गये। हालांकि उससे पहले ही मुख्यमंत्री वहां से निकल चुके थे।

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