सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए 1848 में पहला विद्यालय खोलने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले को 28 नवंबर उनकी पुण्यतिथि पर हम सब उनको प्रणाम करते हैं। यह बात विश्वकर्मा धीमान समाज के प्रदेश महासचिव एडवोकेट दयाल धीमान धरौदी ने जारी एक बयान में कही। दयाल धीमान ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले विधवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए और साथ ही किसानों की हालत सुधारने के लिए जीवन पर्यंत प्रयासरत रहे। अनेक बाधाओं के बावजूद नारी उत्थान के लिए उन्होंने एक-एक करके बालिकाओं के 3 स्कूलों की स्थापना की, जो अपने आप में एक मिसाल साबित हुई। गरीबों को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने सत्यशोधक समाज का गठन किया। उनके ऐसे विशिष्ट कार्यों को देखते हुए इस समाज ने एक विशाल सभा में उन्हें महात्मा की उपाधि से अलंकृत किया। महात्मा ज्योतिबा फुले विद्या को मनुष्य के लिए सर्वोपरि मानते थे। उनका कहना था, विद्या बिना मती गयी मती बिना नीति गयी। ऐसे धर्म, समाज और परंपराओं के सत्य को सामने लाने वाले महापुरुष ज्योतिबा फुले को वह कोटि कोटि नमन करते हैं।
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