सत्य खबर, चंडीगढ़
पंजाब में कांग्रेस के गुटों के बीच सत्ता को लेकर मची खींचतान के बीच केंद्रीय नेतृत्व ने आज मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 लडऩे का ऐलान कर दिया है। यह घोषणा पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने की है। पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के पास लोगों की कमी नहीं है और आगे चुनाव कैसे जीता जाए इसके लिए सब लोग सामूहिक तरीके से काम करेंगे। हम कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में 2022 का चुनाव लड़ेंगे मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच सत्ता को लेकर मची खींचतान के बीच राज्य के कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पंजाब से हमारे कुछ सहयोगी मुझसे मिलने आ रहे हैं। साढ़े चार साल बीत गए लेकिन अचानक ऐसी स्थिति क्यों आई है।
जिससे विधायकों के एक बड़े हिस्से में नाराजगी है। इसका कारण निकालेंगे और समाधान करेंगे। पंजाब की राजनीतिक स्थिति पर पंजाब के एआईसीसी प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि जब हम पीसीसी में बदलाव लाए तो हमें संभावित मुद्दों के बारे में एक विचार आया जो सामने आ सकता है। हम कोई समाधान निकालेंगे। सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर सभी को भरोसा है। हम मामले को देखेंगे और इसे सुलझाने की कोशिश करेंगे।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावती रुख अपनाने के एक दिन बाद चार कैबिनेट मंत्री बुधवार को देहरादून में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति एआईसीसी के महासचिव हरीश रावत से मुलाकात करने जा रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि चार मंत्री राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी एआईसीसी महसचिव और पंजाब मामलों के प्रभारी से मुलाकात करने के लिए उत्तराखंड में देहरादून जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रावत से मुलाकात के बाद उनके दिल्ली जाने की संभावना है।
करीब 24 विधायकों ने कल मुख्यमंत्री को हटाने की थी मांग
ये मंत्री अमरिंदर सिंह के विरोधी बताए जाते हैं। इनके साथ करीब 24 विधायकों ने मंगलवार को यहां बैठक की और मुख्यमंत्री को हटाने की मांग करते हुए कहा कि वादे पूरे न करने को लेकर उनका मुख्यमंत्री पर से भरोसा उठ गया है।
उन्होंने 2015 में एक धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी किए जाने के मामले में न्याय में देरी और मादक पदार्थ गिरोहों में शामिल बड़े लोगों की गिरफ्तारी जैसे चुनावी वादे पूरे न करने को लेकर मुख्यमंत्री की क्षमता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे पार्टी की भावनाओं से अवगत कराने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने कश्मीर और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर विवादास्पद टिप्पणियां करने के लिए पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के दो सलाहकारों की कड़ी आलोचना के बीच यह बैठक की।
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मुख्यमंत्री बदलने की मांग ने पंजाब कांग्रेस में एक नया संकट पैदा कर दिया है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि सिद्धू की नियुक्ति के साथ कांग्रेस की प्रदेश इकाई में असंतोष को दबाने के पार्टी के हालिया प्रयास विफल रहे हैं।
असंतुष्ट नेताओं के एक समूह का नेतृत्व कर रहे बाजवा ने मंगलवार को कहा था कि वे कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात का समय मांगेंगे और उन्हें राजनीतिक स्थिति से अवगत कराएंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि कठोर कदम उठाने की जरूरत है और अगर मुख्यमंत्री बदलने की आवश्यकता है तो यह भी किया जाना चाहिए।
अमरिंदर सिंह और शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलीभगत का आरोप
यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री को हटाने की कोशिश की जा रही है। बाजवा ने पत्रकारों से कहा था कि यह कोशिश नहीं है बल्कि जनता की मांग है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब में एक धारणा बन गयी है कि अमरिंदर सिंह और शिरोमणि अकाली दल की एक-दूसरे के साथ मिलीभगत है। बाजवा, चन्नी, रंधावा और कुछ विधायकों ने मंगलवार को सिद्धू से भी मुलाकात की थी।
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