सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
यह भूमि मेरी माता है, मैं इस विशाल पृथ्वी का पुत्र हूं। इसलिए अपनी मां की सेवा करना मेरा कर्तव्य है। यह विचार पर्यावरण प्रेमी एसोशिएट प्रो. जयपाल आर्य ने पृथ्वी दिवस पर व्यक्त करते हुए कहे। आर्य ने कहा कि अर्थववेद में कहा भी गया है, हे धरती मां! जो कुछ भी तुमसे मैं लूंगा उतना ही वापस करूंगा। उन्होंने कहा कि जब कभी मनुष्य ने प्रकृति का तिरस्कार करके उसका भयंकर दोहन और शोषण करना प्रारंभ किया, तभी से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। यहां तक कि अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी ने एक शोध में पाया है कि गंभीर वायु प्रदूषण के क्षेत्र में कोरोना का अधिक संक्रमण होता है। इसके साथ ही अनेकों मानसिक, शारीरिक व्याधियों का प्रकोप भी दिन- प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज कोरोना वायरस के प्रकोप से लगभग संपूर्ण विश्व ठहर-सा गया है। लेकिन प्रकृति मात्र एक महीने के अंदर अपने पुराने पवित्र सौंदर्य को प्राप्त कर चुकी हैं, क्योंकि प्रकृति अपना इलाज स्वयं करती है। हम प्रकृति से हैं, प्रकृति हमसे नहीं है और प्रकृति के ऊपर आधिपत्य स्थापित करना संपूर्ण मानव जाति के लिए आत्मघाती है। इसलिए अब समय है मानव द्वारा प्रकृति को समझने एवं वर्तमान परिस्थितियों का परीक्षण करके पर्यावरण संरक्षण अनुरूप नई नीतियां बनाकर अनुपालन करने का। आइए, हम प्रकृति से प्रेम रखते हुए पेड़ लगाएं और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएं।
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