सत्यखबर, चंडीगढ़: स्वराज इंडिया ने गेहूं खरीद के समय आढ़तियों की हड़ताल, सरकार की बदहवासी, राजनीतिक दलों की असल मुद्दे से पलायनवादी चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस पूरे प्रकरण के असली शिकार किसान की आवाज दबाई जा रही है। स्वराज इंडिया ने आशंका व्यक्त की है कि इस मुद्दे पर प्रदेश के नेता शायद किसी बड़े सौदे की जोड़-तोड़ में लगे हैं। इस प्रदेश व्यापी हड़ताल पर चिंता व्यक्त करते हुए स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने बयान जारी कर आढ़तियों से पुनः अनुरोध किया है कि वह ऑनलाइन पेमेंट का विरोध छोड़ दें और यह हड़ताल वापस ले ले। उन्होंने कहा कि आढ़तियों का यह कहना सच है कि किसान और आढ़ती का संबंध बहुत पुराना है लेकिन अगर वह संबंध सच और विश्वास पर आधारित है तो उसे ऑनलाइन पेमेंट के तरीके से कोई खतरा नहीं है। इस व्यवस्था में गेहूं की झराई व तुलाई का काम आढ़ती लेबर से करवाएगा, जिसका खर्च एफ सी आई वहन करेगी। एफ सी आई ही हरियाणा सरकार को मार्किट फीस, ग्रामीण विकास फीस व आढ़तिये को दामी/आढ़त/कमीशन की अदायगी करेगी। सरकार किसान का पैसा आढ़ती के खाते में देगी व आढ़ती किसान के बैंक खाते में ही पैसा ट्रांसफर करेगा। 15 अप्रैल को आढ़तियों के प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद मार्केटिंग बोर्ड द्वारा एक पत्र जारी कर आढ़तिये को छूट दी गई कि वह किसान से सहमति पत्र लेकर अपनी उधार का पैसा काट कर बाकी पैसा किसान के बैंक खाते में जमा करवा सकेगा। जो आरती अपना काम इमानदारी से कर रहे हैं उन्हें इस व्यवस्था में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष राजीव गोदारा ने पूछा कि कहीं ऑनलाइन व्यवस्था के विरोध के पीछे बड़े निहित स्वार्थ तो नहीं है? इसका खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि इस ई ट्रेडिंग वाली व्यवस्था में आढ़ती द्वारा दी गई उधार, ब्याज दर्ज, किसान के पैसे में की गई कटौती को रिकॉर्ड में दिखाना होगा। उन्होंने पूछा कि क्या आढ़ती यह दर्ज करने से बचना चाहता है? क्या विरोध की वजह यह है कि उसे साहूकारी व किसान से लेबर के नाम पर की जाने वाली कटौती से होने वाली आय को सरकार को बताना न पड़े? राजीव गोदारा ने कहा कि ई ट्रेडिंग की व्यवस्था से आढ़ती की उधार का पैसा डूब सकने की आशंका निर्मूल है। आढ़ती जहाँ विश्वास पर पैसा देता है वह उसी भरोसे पर चलेगा। जहां खाली चैक लेने या जमीन का इकरारनामा लिखवाते हैं तो वहां भरोसा नहीं है। वहां उन्हें कानूनी राह पर चलने का हक रहेगा।उन्होंने पूछा कि कहीं बड़ा सवाल खेती की कमाई के नाम पर इनकम टैक्स बचाने के खेल खत्म होने की चिंता से तो नहीं उभर रहा ?
स्वराज इंडिया ने हैरानी जताई है कि इस पूरे प्रकरण में किसान के हित की बात ना तो किसान संगठन उठा रहे हैं और न प्रदेश के बड़े विपक्षी दल। सरकार किसानों को सही व पूरी जानकारी नहीं दे रही जिससे यह अंदेशा गहरा होता है कि बड़ा खेल खेलने की तैयारी में है। कुछ रियायतें आढ़तियों को पहले ही दे दी है। अब गेहूं खरीद का संकट पैदा कर बड़ा सौदा किया जा सकता है। उसी पर किसान को पैनी नजर रखनी चाहिए।
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