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पानीपत, सत्यखबर
काेराेना जहा बड़ता ही जा रहा है वही दूसरी और लोग सदमे में आ रहे हैं। अस्पतालाें की मनाेवैज्ञानिक औपीडी में कोरोना से जुड़े राेजाना 30-35 केस आ रहे हैं। इसमें काेराेना का खाैफ, नशे की लत, इंटरनेट की लत, व्यापार कम हाेने के बाद मानसिक परेशानी, बैचानी जैसे मामले हैं। डाॅक्टराें का कहना है कि डिप्रेशन कई कारणों से होता है।
परिवार में अगर पेरेंट्स को डिप्रेशन है तो बच्चों में होने की आशंका रहती है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति के आसपास के वातावरण या माहौल में किसी तरह का कोई बदलाव आता है तो वह भी डिप्रेशन का कारण बनता है। अब काेराेना के कारण लाेग तनाव मेें आ रहे हैं। बड़ों से लेकर बच्चे तक काउंसिलिग के लिए पहुंचे रहे हैं।। डाॅक्टर उन्हें अच्छा खान-पान व दिनचर्या बेहतर बनाने की सलाह दे रहे हैं।
माॅडल टाउन की 10वीं में पढ़ने वाली 15 वर्षीय लड़की माेबाइल में साेशल मीडिया पर हर समय काेराेना के बारे में पढ़ती रही। इसके बाद बार-बार सांस फूलने की शिकायत हुई। फिर कांउसिलिंग के लिए आई और डाॅक्टर काे बताया कि उसे डर है कि उसकाे काेराेना हाे गया है। माता-पिता की भी माैत हाे जाएगी। उसका क्या हाेगा। डाॅक्टर ने उसे फाेन कम चलाने और उसमें काेराेना के बारे में निगेटिव चीज न देखने की सलाह दी। फिलहाल उसकी काउंसिलिंग चल रही है।
एक बाजार में रहने वाले 38 वर्षीय दुकानदार ने बताया कि लाॅकडाउन शुरू हाेने के बाद से ही वह घर पर है। हर समय डर लगता है। उसने अपने दाेस्ताें व रिश्तेदाराें से भी बात करनी बंद कर दी। काउंसिलिंग के लिए डाॅक्टर के पास और बताया कि हल्की खांसी हाेने पर लगता है कि काेराेना हाे गया है। ऐसा महसूस हाेता रहता है। लाॅकडाउन खत्म हाेने के बाद भी वह अपने इस डर के कारण दुकान नहीं खाेल पा रहा। बिना कारण राेने का मन करता है। फिलहाल काउंसिलिंग चल रही है।
संजय चाैक के पास एक काॅलाेनी में रहने वाले स्वस्थ बुजुर्ग ने डाॅक्टर काे बताया कि वह कई दिनाें से साेच रहा है कि अगर उसकाे काेराेना हाे गया ताे वह क्या सच में मर जाएगा। वह आजकल काेराेना के बारे में ज्यादा पढ़ रहा है। इसलिए यह भ्रम पैदा हाे गया है। इस केस में भी काउंसलिंग जारी है।
नींद पूरी होगी तो दिमाग ताजा होगा और नकारात्मक भाव मन में नहीं आएंगे।
- डिप्रेशन का मरीज अगर समय पर इलाज के लिए आ जाए तो इलाज संभव है। सूरज की रोशनी में कुछ देर जरूर रहें।
- सैर या योग करने के लिए बाहर जरूर जाएं।
हैदराबादी के साइकोलॉजिस्ट डाॅ. विरेंद्र ने बताया कि जहां तक वातावरण का सवाल है तो तनावपूर्ण माहौल हर किसी की टेंशन बढ़ा देता है। जैसे कि आजकल लोग कोरोना को लेकर तनाव में हैं, जो बाद में बड़े डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
डिप्रेशन में व्यक्ति उदास रहता है, उसका किसी से बात करने का मन नहीं करता। भूख और नींद भी कम हो जाती है। शरीर में एनर्जी कम होने लगती है। डिप्रेशन ज्यादा गंभीर हो तो इंसान को लगने लगता है कि वह किसी चीज के काबिल नहीं है। कुछ कर नहीं पा रहा है। जीवन बेकार है। कुछ अच्छा न लगे
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