सत्य खबर, नई दिल्ली
पेगासस जासूसी मामले में पाकिस्तान ने बचकाना ब्यान दिया है। उसने भारत पर आरोप लगाया है कि उसने कथित तौर पर प्रधानमंत्री इमरान खान की जासूसी की है। यह विवाद तब सामने आया जब फ़्रांसीसी गैर लाभकारी संस्था फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 50000 फ ोन नंबरों के लीक हुए डाटाबेस को एक्सेस किया। जिन्हें कथित तौर पर पेगासस द्वारा निशाना बनाया गया था। कई रिपोट्र्स में ऐसा दावा किया गया कि ना केवल इमरान खान बल्कि दूसरे देशों के 9 प्रधानमंत्री, 3 राष्ट्रपति और एक राजा को स्पाइवेयर का उपयोग करके संभावित लक्ष्य बनाया गया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक ब्यान जारी कर भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अपने नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों की संगठित जासूसी में लिप्त है। इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने बेतुका ब्यान देते हुए कहा कि यह जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने की एक चाल थी। इसके साथ ही पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के संबंधित निकायों से जासूसी मामले की जांच करने, तथ्यों को सामने लाने और अपराधियों को जिम्मेदार ठहराए जाने का आह्वान किया है।
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मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार पेगासस स्पाइवेयर के जरिए 300 भारतीयों के मोबाइल नंबरों की जासूसी की गई है। इनमें 40 पत्रकार, व्यवसायी, तीन विपक्षी नेता और केंद्र सरकार के दो मौजूदा मंत्री शामिल हैं। डाटाबेस में कथित तौर पर उन कार्यकर्ताओं का नाम भी शामिल है जो भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी हैं और जेल में कैद हैं। पेगासस स्पाइवेयर को इसरायल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ गु्रप ने तैयार किया है। एनएसओ गु्रप ने भी इस तरह के आरोपों को खारिज कर दिया है।
वहीं इस मामले में गुरुवार को राज्यसभा में केंद्रीय सूचना मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 18 जुलाई 2021 को एक वेब पोर्टल ने बेहद सनसनीखेज कहानी प्रकाशित की। कहानी में कई बड़े आरोप भी लगाए गए। सभापति महोदय ये रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले आई हैं। अतीत में भी व्हाट्सएप पर पेगासस के इस्तेमाल से जुड़े ऐसे ही दावे किए गए थे। उन रिपोट्र्स का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट सहित सभी पक्षों ने स्पष्ट रूप से रिपोट्र्स को खारिज किया था।
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