सत्यख़बर डेस्क
डायबिटीज़ के मरीज़ या फिर जो लोग स्वास्थ्य के लिए जागरूक है वह कई बार फ्रूट ज्यूस के तैयार पैकेटों को पीने मे परहेज़ करते है, क्योंकि उनको यह पता नहीं होता कि इसमें सुगर है कि नहीं? है तो कितनी है?
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अब फूड कंपनियों को फलो के ज्यूस के पैकेटों पर ” स्वीट फ्रूट ज्यूस” लिखना होगा या फिर स्वीट फ्रूट ज्यूस का लेबल लगाना पड़ेगा। असल में यह नियम ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड यानी BIS ने बनाया है। BIS ने बताया कि अगर आपको फलों के ज्यूस के लिए प्रमाणपत्र चाहिए तो फिर सुगर या सिरप बेज़ फ्रूट ज्यूस पैकेट पर सुगर कंटेंट लिखना पड़ेगा। BIS ने कहा कि फलों का रस, फ्रूट कंस्ट्रेट, सुगर एडेड या स्विटेंड फ्रूट ज्यूस लिखना पड़ेगा। यह सब जब 1 किलोग्राम ज्यूस में 15 ग्राम से ज्यादा सुगर हो तो लिखना ज़रूरी होगा। यह भी कंपनी फ्रूट ज्यूस नाम के नजदीक में लिखना पड़ेगा, जिससे ग्राहकों को स्पष्टता से दिखेगा। लोगों को वे क्या खाते है उनको पता चले और लोग अपने स्वास्थ्य के लिए सचेत रहे।
ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुबोध जिंदल का कहना है कि खाद्य मानकों पर नियमों को एफएसएस अधिनियम में शामिल किया गया है। इसलिए, एक अलग खाद्य मानक बनाने से केवल भ्रम पैदा होगा। हालांकि, बीआईएसए ने कहा है कि चीनी लेबलिंग को अनिवार्य बनाते हुए एफएसएस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों की पूरी तरह से जांच की जाएगी। हालांकि, नए दिशानिर्देशों के तहत, यदि आवश्यक हो, तो चीनी लेबलिंग से संबंधित नियम जल्द ही लागू किए जाएंगे।
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