सत्यखबर
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक अब ‘मेटा’ नाम से जानी जाएगी। फेसबुक के फाउंडर और सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने गुरुवार को ऑकलैंड में आयोजित सालाना कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘भविष्य के वर्चुअल-रियलिटी विजन (मेटावर्स) को हासिल करने के लिए हम खुद को री-ब्रांड कर रहे हैं। अब हमारे लिए फेसबुक फर्स्ट की जगह मेटावर्स फर्स्ट होगा।
कंपनी के शेयरों में एक दिसंबर से FB की बजाय MVRS (मेटा प्लेटफॉर्म इंक) सिंबल से ट्रेडिंग शुरू होगी। जुकरबर्ग ने कहा कि मेटा ग्रीक शब्द ‘बियॉन्ड’ से आया है। यह दुनिया में कंपनी का बेहतरीन प्रतिनिधित्व करता है। हमारी कंपनी ऐसी है जो लोगों को जोड़ने के लिए टेक्नोलॉजी बनाती है। इस बदलाव का मकसद फेसबुक को मेटावर्स कंपनी के तौर पर पेश करना है। इसके बाद फेसबुक का मुख्य सोशल ऐप नए ब्रांडनेम के अंब्रेला में मौजूद होगा।
जुकरबर्ग ने बताया कि इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप सहित कंपनी के दूसरे ऐप और सर्विस नए बेसिक स्ट्रक्चर में ही काम करेंगे। यह री-ब्रांडिंग वैसी ही होगी, जैसा गूगल ने अल्फाबेट नाम से ऑरिजनल स्ट्रक्चर सेट करने के लिए किया था। हालांकि अल्फाबेट की तर्ज पर फेसबुक कॉरपोरेट री-स्ट्रक्चरिंग नहीं करेगी। कंपनी ने कहा है कि हमारी फाइनेंशियल रिपोर्टिंग दो सेगमेंट- रियलिटी लैब्स और फैमिली ऑफ ऐप्स में बंट जाएगी।
जुकरबर्ग ने कहा कि नए नाम के साथ हमारे इरादों की भी झलक मिलती है। साथ ही ये भी साफ होता है कि हम क्या करना चाहते हैं। पुराना नाम हमारी पूरी और सही पहचान बताने में शायद उतना कामयाब नहीं रहा, लोग फिर भी हमारे साथ जुड़े हैं। आने वाले वक्त में हम ज्यादा बेहतर तरीके से खुद को पेश कर पाएंगे। जुकरबर्ग ने अपने ट्विटर हैंडल में भी @meta जोड़ने का फैसला किया है। साथ ही meta.com ही अब आपको सीधे फेसबुक के होम पेज पर री-डायरेक्ट करेगा।19 अक्टूबर को मीडिया रिपोर्ट्स कहा गया था कि फेसबुक अब अपना नाम बदलने जा रही है। जुकरबर्ग चाहते थे कि फेसबुक को सिर्फ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ही न समझा जाए। बता दें कंपनी मेटावर्स पर 10 बिलियन डॉलर यानी करीब 75 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। कंपनी की ये विंग ऑग्मेंटेड और वर्चुअल रियलिटी पर काम करेगी। इसका इस्तेमाल कर यूजर वर्चुअल वर्ल्ड का एक्सपीरिएंस ले सकेंगे। इस प्रोजेक्ट के लिए फेसबुक 10 हजार लोगों को हायर करने का ऐलान भी कर चुकी है।
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मेटावर्स एक तरह की आभासी दुनिया होगी। इस तकनीक से आप वर्चुअल आइंडेंटिटी के जरिए डिजिटल वर्ल्ड में एंटर कर सकेंगे। यानी एक पैरेलल वर्ल्ड जहां आपकी अलग पहचान होगी। उस पैरेलल वर्ल्ड में आप घूमने, सामान खरीदने से लेकर, इस दुनिया में ही अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल सकेंगे।मेटावर्स ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी कई टेक्नोलॉजी के कॉम्बिनेशन पर काम करता है।
- आप वर्चुअल वर्ल्ड में किसी सड़क किनारे टहल रहे हैं। एक दुकान पर आपने एक फ्रिज देखा, जो आपको पसंद आ गया। आप उस दुकान पर गए और डिजिटल करंसी से उस फ्रीज को खरीद लिया। अब वो फ्रिज आपके रेजिडेंशियल एड्रेस (जहां आप रहते होंगे) पर डिलिवर हो जाएगा, यानी आपको वर्चुअल शॉपिंग एक्सपीरिएंस मिलेगा, लेकिन ये शॉपिंग रियल होगी।
- आप इंटरनेट पर जब किसी से बात कर रहे होंगे तो ऐसा लगेगा जैसे आप एक-दूसरे के सामने ही बैठे हैं। भले ही फिजिकली आप सैकड़ों मील दूर हों।
- एक वेबसाइट है https://decentraland.org/ ये वर्चुअल वर्ल्ड का बेहतरीन उदाहरण है। इस वेबसाइट पर आपको अलग वर्चुअल वर्ल्ड मिलेगा, जिसकी अपनी करंसी, इकोनॉमी और जमीन भी है। आप यहां क्रिप्टोकरंसी से जमीन खरीद सकते हैं, उस पर अपने हिसाब से घर बना सकते हैं। इस वर्चुअल वर्ल्ड में आपको नौकरी भी मिल सकती है। ये वेबसाइट भी मेटावर्स के एलीमेंट पर ही काम करती है।
फेसबुक के ऑफिशियल ब्लॉग के मुताबिक कंपनी अभी मेटावर्स बनाने के शुरुआती फेज में है। मेटावर्स को पूरी तरह से डेवलप होने में 10 से 15 साल लग सकते हैं। साथ ही ये समझना भी जरूरी है कि मेटावर्स को कोई एक कंपनी नहीं बना सकती। ये अलग-अलग टेक्नोलॉजी का बड़ा सा जाल है जिस पर कई कंपनियां मिलकर काम कर रही हैं।
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