सत्य खबर, पानीपत
स्थानीय सनौली रोड स्थित भीमगोडा मंदिर में राम नवमी महोस्तव का शुभारंभ श्री राम कथा का वर्णन प्रयागराज के संत करुणामय गुरू माँ के मुखमण्डल से किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि समाजसेवी रमेश चुघ द्वारा ज्योत प्रज्वलित की गई। वहीं प्रधान जोगेन्दर कमल व उनकी पत्नी ने पूजा अर्चना कर व मंदिर सभा के सदस्यों ने गुरू माँ का मंदिर में पुष्प वर्षा कर व पुष्पमाला अर्पण कर अभिवादन किया। मुख्यातिथि का पुष्पों द्वारा स्वागत किया गया।
इस अवसर पर सुंदर चुघ, चुनी लाल लखीना, चुनी लाल चुघ, तिलक छाबड़ा, पवन जुनेजा, कालू सतीजा, ईश जुनेजा, प्रेम चुघ, प्रदीप सपड़ा व वेद जुनेजा आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। वहीं संत करुणामय गुरू माँ ने कथा करते हुए कहा कि श्रीराम चरित्र मानस परम पवित्र है। देवता भी श्रीराम के चरित्र के रहस्य को नहीं समझ पाते। श्रीरामचरित मानस का मुख्य सारांश यही है कि हमें प्रभु श्री राम की तरह मर्यादित होकर अपने जीवन के उत्तरदायित्व को निभाना होगा।
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कथावाचक ने कहा कि आज पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रचलन के चलते जिस प्रकार से भारतीय संस्कृति के मूल्यों पर प्रहार हो रहा है। उसी के परिणामस्वरूप आज हमारी युवा पीढ़ी तेजी से भ्रमित हो रही है। ऐसे में यदि भारतीय संस्कृति वेदों, पुराणों, ग्रंथों में बताए प्रेरणा प्रसंगों का प्रसार नहीं किया गया, तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हमारी भावी पीढ़ी को भुगतने पड़ेगे। उन्होंने कहा कि विद्वान बनना आसान है।
सुजान और महान बनना भी आसान है लेकिन इंसान बनना कठिन है। श्री राम कथा आदर्श पथ पर चलने की प्रेरणा देती है। भगवान राम का चरित्र जहां एक ओर पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को दर्शाता है। वहीं दूसरी ओर जाति पाती के भेदभाव को मिटाकर मानव मात्र में सौहार्द की भावना जगाता है।
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