विभाग के पोर्टल पर किसानों ने करवाया रजिस्ट्रेशन विभाग अब फिजिकल वेरिफिकेशन में जुट गया लक्ष्य से अधिक पाने में कामयाब रही सरकार
चंडीगढ़। हरियाणा में गिरते भूजल को बचाने के लिए किसान आगे आए हैं। सरकार के आह्वान पर किसानों ने पहली बार 1.04 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में धान (अत्यधिक पानी के इस्तेमाल वाली फसल) की खेती छोड़ने का मन बनाया है। इसके लिए बाकायदा किसानों ने कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन भी कराया है। जिलावार अब कृषि विभाग के फील्ड अफसर अपने स्टाफ के साथ किसानों द्वारा करवाए गए रजिस्ट्रेशन की वेरिफिकेशन करते हुए उन्हें मान्यता दे रहे हैं। हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मेरा पानी-मेरी विरासत के तहत प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसानों ने स्वेच्छा से बढ़-चढ़कर भूजल बचाने की इस मुहिम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराने का फैसला किया है। इस योजना के तहत धान की बजाय अपने खेतों में मक्का, बाजरा, कपास, दालें और बागवानी फसलें (सब्जियां, फल, फूल, मसाले इत्यादि) लगाने का फैसला किया है।
सूबे में 8.5 लाख हेक्टेयर रकबे में होती है धान
हरियाणा में करीब 8.5 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की खेती की जाती है। इस योजना के तहत सरकार ने यह टारगेट रखा था कि इस साल कम से कम किसान 1 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की बजाय अन्य वैकल्पिक खेती करें। अभी तक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की स्थिति देखें तो सरकार अपने लक्ष्य से पार पा चुकी है। प्रदेश में किसानों ने अभी तक पोर्टल पर कुल 104677 हेक्टेयर जमीन पर धान की बजाय अन्य फसलें लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। किसान इसकी बजाय 10425 हेक्टेयर जमीन पर मक्का, 26508 हेक्टेयर जमीन पर बाजरा, 53465 हेक्टेयर जमीन पर कपास, 1341 हेक्टेयर जमीन पर दालें और 12937 हेक्टेयर जमीन पर बागवानी फसलें लगाएंगे।
इन किसानों को मिलेगा 7000 प्रति एकड़
कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस परियोजना को लेकर गंभीर है। किसानों ने भी उनके आह्वान पर बढ़-चढ़कर प्रदेश में भूजल की स्थिति को देखते हुए धान की बजाय वैकल्पिक फसलें लगाने का जो फैसला लिया है, वे वाकई तारीफे काबिल है। किसानों द्वारा करवाए गए रजिस्ट्रेशन की वेरिफिकेशन और उन्हें मान्यता देने का काम चल रहा है, क्योंकि धान की बजाय वैकल्पिक खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ सात हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जानी है। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है।
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