चंडीगढ़। अनलॉक के बावजूद पूरी तरह बसों का संचालन न हो पाने और तेजी से बढ़े डीजल के रेट के मद्देनजर परिवहन विभाग के तहत रोडवेज शाखा का लगातार नुकसान बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते विभाग फिर से बसों के किराए में वृद्धि करने की योजना बना रहा है। इस संदर्भ में एक प्रस्ताव भी विभाग की ओर से हरियाणा सरकार को भेजा गया है। सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव में विभाग ने उन कारणों का भी जिक्र किया है। जिसके आधार पर फिर से किराया बढ़ाने की सिफारिश की गई है। सरकार प्रस्ताव से जुड़े हर पहलु पर मंथन करेगी। उसके बाद सरकार ही तय करेगी कि लगातार रोडवेज का घाटा पूरा करने के लिए क्या फिर से किराया बढ़ाया जाना चाहिए या नहीं।
प्रति यात्री 115 पैसे किराये की सिफारिश
हरियाणा सरकार ने लॉकडाउन में 15 मई को घाटे के मद्देनजर 15 प्रतिशत तक किराया बढ़ाया था। किराया 85 पैसे प्रति किलोमीटर प्रति यात्री से बढ़ाकर 100 पैसे प्रति किलोमीटर प्रति यात्री किया गया था। प्रस्ताव में बताया गया कि 25 मई से लेकर 30 जून तक डीजल करीब 17 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो गया। इसलिए सिफारिश की गई है कि अब प्रति किलोमीटर प्रति यात्री किराया 100 पैसे से बढ़ाकर 115 पैसे कर दिया जाए।
अब तक 270 करोड़ से अधिक का नुकसान
हरियाणा रोडवेज को लॉकडाउन लगने से लेकर 30 जून तक लगभग 270 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। हालांकि कुछ दिनों से रोडवेज विभाग सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल के दायरे में 1 बस 30 यात्री निर्धारित सीमा के साथ करीब 800 बसों का संचालन भी कर रहा है। इससे भी घाटा रिकवरी पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है। इसी घाटे को देखते हुए पहले सरकार ने मई में बसों का किराया बढ़ाया था और अब विभाग ने फिर से किराए बढ़ाने की सिफारिश सरकार को भेजी है।
बढ़ते घाटे की कुछ वजह ये भी
रोडवेज विभाग ने जिला प्रशासन के अधीनस्थ अपनी कई बसें पैरामेडिकल स्टाफ व पुलिस कर्मियों के आवागमन के लिए दी हुई है। उसका डीजल व अन्य खर्च रोडवेज उठाता है। सरकारी बसों में मोबाइल क्लीनिक भी चलाई जा रही है। जबकि माइग्रेंट लेबर को उनके राज्यों तक छोड़ कर आना,राजस्थान के कोटा में अपने प्रदेश के छात्रों को लेकर आना व अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंचे हरियाणा के विदेशी नागरिकों को लेकर आने में भी सरकारी बसों का इस्तेमाल हुआ। इस दौरान भी डीजल समेत अन्य खर्च रोडवेज विभाग ने उठाया। बसों के ड्राइवर व कंडक्टर के लिए रोजाना सैनिटाइजर की बोतल उपलब्ध कराना। एक रूट पर फेरी खत्म होने के बाद पूरी बस को सैनिटाइज करना, बस अड्डों पर यात्रियों की जांच के लिए थर्मल स्कैनर उपलब्ध कराना इत्यादि खर्च भी विभाग ही करता है। लेकिन आमदनी ज्यादा नहीं होती।
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