सत्य खबर,नई दिल्ली
मध्य प्रदेश का आपरेशन लोटस अब महाराष्ट्र में दोहराया जा रहा है। जिस तरह 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के 22 विधायकों ने बगावत की और भोपाल से बंगलौर चले गए ठीक वैसी ही कहानी महाराष्ट्र में रिपीट की जा रही है। पहले एकनाथ शिंदे विधायको को सूरत ले गए और वहाँ से गुवाहाटी।अगर गौर से देखा जाए तो बीजेपी ने कमलनाथ सरकार की ही तरह महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को को निपटाने का पूरा प्लान तैयार कर रखा है। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की तरह ही महाराष्ट्र में भी सत्तारूढ विधायकों में असंतोष और गुटबाज़ी चरम पर है जिसका फायदा बीजेपी उठा रही है। तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनैतिक कैरियर को निपटाने का काम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कर रहे थे तो महाराष्ट्र में शिवसेना के भविष्य पर पलीता लगाने का काम एनसीपी और कांग्रेस कर रहे थे। फर्क सिर्फ इतना था कि उद्दव ठाकरे ,शरद पवार के एहसान के नीचे इतने दबे थे कि उन्हें अपनी ही पार्टी के विधायकों का असंतोष सुनाई नही पड़ा । ठीक वैसे ही जैसे कमल नाथ को ज्योतिरादित्य सिंधिया का असंतोष सुनाई नही दे रहा था।
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हालांकि सिंधिया और एकनाथ शिंदे में भी कई समानता देखने को मिल रही है जहाँ सिंधिया मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे वही एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री । सिंधिया की महत्वाकांक्षा पर ब्रेक दिग्विजय सिंह ने लगाया तो एकनाथ शिंदे की महत्वाकांक्षा पर शरद पवार ने। जब कि महाविकास अघाड़ी किस सरकार गठन के समय उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था लेकिन शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से मुख्यमंत्री पद संभालने के लिए कहा। कमलनाथ जिस तरह सिंधिया के सियासी कद की अनदेखी कर रहे थे ठीक वैसे ही उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे को अनदेखा कर रहे थे। जानकर बताते है कि अघाड़ी की सरकार में मुख्यमंत्री शिव सेना का जरूर था लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए शिव सेना के विधायकों को समय ही नही मिल पाता था। वही एनसीपी और कांग्रेस के विधायक सीधे उद्धव ठाकरे से मिल लिया करते थे। बस यही से शिव सेना के विधायकों में असंतोष पैदा हो गया । जिसका इस्तेमाल बीजेपी महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार को गिराने के लिए कर रही है।
वैसे भी जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमल नाथ सरकार गिरने से पहले ही अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस का नाम हटा दिया था ठीक वैसे ही एकनाथ शिंदे ने भी उद्धव सरकार गिरने से पहले अपने ट्विटर बायो से शिवसेना का नाम हटा लिया है। इससे इतना तो साफ है कि एकनाथ शिंदे ने उद्दव सरकार को निपटाने के इरादे।से ही गुवाहाटी में बैठे है। जहाँ अब किसी सुलह की गुजाइश नही बची है।
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