सत्यखबर, सफीदों, (महाबीर मित्तल)
समय व जमाना बदलने के साथ-साथ परवरिश के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं। यह जानते हुए भी कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है उस अनुसार माता-पिता की सोच, भावनाएं, नजरिया नहीं बदल पा रहा है। दोस्ती के नए आयाम तय करने होंगे, शुरुआत खुद से और अपने घर से करनी होगी तथा एक सुखद, सहज, दोस्ताना माहौल तैयार करना होगा। यह बात मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने कही। वे गांव बागडू कलां स्थित नेशनल स्कूल में आयोजित सेमिनार में अभिभावकों व विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। अनिल मलिक ने कहा कि रिश्तो में मधुरता व अपनापन एक विशेष आकर्षण पैदा करता है जो हमेशा कायम रहना चाहिए। बाल्यावस्था से ही अपनेपन की भावना पैदा करने की आवश्यकता है।
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वक्त है संभलने का, जागने का, समझने का, निर्णय लेने का, एक कदम आगे बढ़ाने का, पेरेंट्स बच्चों को धैर्य पूर्वक सुने, भावनात्मक लगाव रखें तथा भावनाओं का इजहार करने के अवसर निर्मित करें। बच्चों की उम्र विशेष को मद्देनजर व्यवहार, रुचियां, दोस्त, बातचीत का तरीका, दैहिक भाषा पर माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए। समय की मांग है कि बच्चों के साथ कोई और बुरा इंसान दोस्ती करें उससे पहले माता-पिता आगे बढ़े और अपने बच्चों को दोस्त के रुप में स्वीकार करें। कार्यक्रम में विशेष तौर से पहुंचे कौटिल्य चाणक्य के पिता सतीश शर्मा ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे अगर ठान ले और क्षमतानुसार प्रयास करें तो कुछ भी असंभव नहीं है। इस मौके पर प्रमुख रूप से प्रिंसिपल उमा वर्मा, महिपाल चहल, सोनू मलिक व यशपाल चहल मौजूद थे।
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