सत्यखबर, दादरी
सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे से गुर्जर शब्द हटाने से पैदा हुआ विवाद फिलहाल थमता नज़र नहीं आ रहा है । इस मुद्दे पर रविवार को दादरी के मिहिर भोज इंटर कॉलेज में गुर्जर समाज की महापंचायत हुई । जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए । इस पंचायत में राष्ट्रीय गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति ने फैसला लिया है कि विरोध दर्ज करने के लिए इस बार गुर्जर समाज दिवाली नहीं मनाएगा । इस पंचायत में राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश से आए गुर्जर समाज के लोग शामिल हुए । महांपचायत की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष अंतराम तवर ने की ।
बता दें कि 22 सितंबर को मुख्यमंत्री ने सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया था । अनावरण की पटिका पर गुर्जर शब्द न लिखे होने के कारण लोग आक्रोशित हो गए थे । हालांकि, बाद में राज्यसभा सुरेंद्र नागर ने सम्राट मिहिर भोज के आगे गुर्जर शब्द को जोड़ दिया था । इस महापंचायत को अवतार सिंह भड़ाना, रणवीर चंदीला, डॉ रूप सिंह, एडवोकेट रविंद्र भाटी समेत गुर्जर समाज के कई नेता शामिल रहे । महापंचायत में लिए गए 10 बड़े फैसले
1. पूरे देश का गुर्जर समाज इस बार दीपावली नहीं मनाएगा
2. मुख्यमंत्री समेत भाजपा के सभी नेताओं का सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार करेंगे
3. विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देकर अपमान का बदला लेंगे
4. समाज को जागरूक करने के लिए गुर्जर स्वाभिमान समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रत्येक जिले में सभा करेगी
5. राजस्थान में पांच प्रतिशत गुर्जर आरक्षण को केंद्र सरकार 9वीं अनुसूची में डाले
6. प्रत्येक गुर्जर गांवों में भाजपा नेताओं के आवागमन का विरोध
7. गुर्जर रेजीमेंट का गठन करेंगे
8. जेवर एयरपोर्ट का नाम गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज रखा जाए
9. समाज के प्रत्येक गांव में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाई जाए और शिक्षण संस्थानों का निर्माण कराया जाए
10. राव उमराव सिंह की बड़ी प्रतिमा कस्बे के चौराहे पर लगवाई जाए
पुलिस से भी हुई नोकझोंक
पंचायत से पहले गुर्जर नेताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने लगाए गए टेंट को उखाड़ दिया था जिसके बाद तनाव पैदा हो गया । ग्रेटर नोएडा के एडिशनल डीसीपी विशाल पांडे ने बताया कि महापंचायत अनुमति के बाद आयोजित की गई थी और कोरोना गाइडलाइन का पालन भी किया गया है । हालांकि आरोप है कि अनुमति न होने का हवाला देकर टेंट संचालक को हवालात में बंद कर दिया और टेंट को उखाड़ दिया । इससे पहले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव रविवार को दादरी पहुंचे थे । उन्होंने गुर्जर महापंचायत में जाने का प्रयास किया तो पुलिस ने अनुमति न होने का हवाला देकर उन्हें रोक लिया ।
कौन थे राजा मिहिर भोज?
इतिहास के मुताबिक प्राचीन एवं मध्यकालीन दौर के समय गुर्जर-प्रतिहार राजवंश ने अपना साम्राज्य स्थापित किया था । इस राजवंश के शासकों ने मध्य-उत्तर भारत के बड़े हिस्से पर 8वीं सदी से 11वीं सदी के बीच शासन किया था । इस राजवंश का संस्थापक प्रथम नागभट्ट को माना जाता है, जिनके वंशजों ने पहले उज्जैन और बाद में कन्नौज को राजधानी बनाते हुए एक विस्तृत भूभाग पर लंबे समय तक शासन किया । नागभट्ट द्वारा 725 ई. में साम्राज्य की स्थापना से पूर्व भी गुर्जर-प्रतिहारों द्वारा मंडोर, मारवाड़ इत्यादि इलाकों में सामंतों के रूप में 6वीं से 9वीं सदी के बीच शासन किया गया, किंतु एक संगठित साम्राज्य के रूप में इसे स्थापित करने का श्रेय नागभट्ट को जाता है । हालांकि इतिहासकारों में इनके वंश को लेकर आज भी मतभेद हैं, राजपूत इन्हें अपना पूर्वज मानते हैं, वहीं गुर्जर भी इनके वंश का होने का दावा करते हैं ।
गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के शासन के दौरान उमय्यद खिलाफत के नेतृत्व में होने वाले अरब आक्रमणों का नागभट्ट और परवर्ती शासकों ने ध्वस्त कर दिया। कुछ इतिहासकार भारत की ओर इस्लाम के विस्तार की गति के इस दौर में धीमी होने का श्रेय इस राजवंश की मजबूती को देते रहे हैं । मिहिर भोज और उसके परवर्ती प्रथम महेन्द्रपाल के शासन काल में यह साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचा और इस समय इस साम्राज्य की सीमाएं पश्चिम में सिंध से लेकर पूर्व में आधुनिक बंगाल तक और हिमालय की तलहटी से नर्मदा पार दक्षिण तक विस्तृत थीं । इसी दौरान इस राजवंश के राजाओं ने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की । इतिहास में इस राजवंश के सम्राट मिहिर भोज को सबसे सशक्त राजा माना जाता है । गुर्जर-प्रतिहार विशेषकर शिल्पकला के लिए जाने जाते हैं । इनके शासनकाल में उत्कीर्ण पटलों वाले और खुले द्वारांगन वाले मंदिरों का निर्माण हुआ । इस शैली का नमूना हमें खजुराहो के मंदिरों में देखने को मिलता है जिन्हें आज यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल किया जा चुका है ।
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