सत्यखबर तौशाम (ब्यूरो रिपोर्ट) – कांग्रेस की बड़ी नेता और हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी मुश्किल में हैं। उनकी परंपरागत सीट तौशाम को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैं। किरण चौधरी को इस बार तौशाम में बीजेपी से कड़ी टक्कर मिलेगी।
जानकारों के अनुसार, आज की तारीख में किरण चौधरी के लिए ये सीट फंसी हुई है। अगर किरण और बीजेपी में सीधा मुकाबला हुआ तो वो मुश्किल में पड़ सकती हैं। तौशाम की सीट परंपरागत रूप से बंसी लाल परिवार की सीट रही है। 1967 से लेकर अब तक यहां 13 बार चुनाव हुए हैं। इनमें से एक 1986 का उप-चुनाव भी है। 13 बार में से 10 बार यहां बंसी लाल खुद या उनके परिवार का कोई सदस्य ही जीता है।
पिछली दो बार से तो किरण चौधरी खुद ही चुनाव जीतती रही हैं। लेकिन इस बार लोगों का मूड बदला हुआ है। तौशाम हलके में बड़ी संख्या में लोगों का झुकाव बीजेपी की तरफ हो गया है। इसका अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में तौशाम विधानसभा सीट पर कांग्रेस बुरी तरह से पिछड़ गई थी। भिवानी लोकसभा में पड़ने वाली इस सीट पर किरण चौधरी की बेटी श्रुति चुनाव लड़ रही थीं। वो बीजेपी के धर्मबीर से 34 हज़ार वोटों से पीछे रह गई थीं।
आम लोगों से बात करने पर साफ होता है कि बड़ी संख्या में लोगों का मूड अभी बीजेपी के पक्ष में ही बना हुआ है। बीजेपी को एक ही नुकसान है। वो ये है कि अनार एक है और बीमार कई हैं। दर्जन भर लोग बीजेपी की टिकट के दावेदार हैं। भिवानी के सांसद धर्मबीर भी अपने बेटे या भाई के लिए टिकट मांग रहे हैं। पिछली बार भी मांग रहे थे। नहीं मिला तो उन्होंने अपने भाई लाला को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतार दिया था। उन्हें 38 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले थे।
इस बार उनका क्या रुख रहता है, इससे भी तय होगा कि किरण चौधरी का ऊंट किस तरफ जाकर बैठता है। अगर बीजेपी में आपसी फुटव्वल हुई तो इसका सीधा फायदा किरण को मिलेगा। अगर बीजेपी किरण को सीधा संघर्ष दे पाएगी, तो फिर ऊंट किसी भी तरफ बैठ सकता है।
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