चंडीगढ़। हरियाणा के शिक्षा विभाग ने जिन पीटीआइ की मौत हो चुकी है, उनके आश्रितों को मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता बंद कर दी है। शिक्षा विभाग के इस फैसले से पीटीआइ के आश्रितों के परिजनों में आक्रोश है तथा उनके जीवनयापन का रास्ता बंद हो गया है। सर्व कर्मचारी संघ ने हरियाणा के शिक्षा विभाग के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि खर्चा कम करने का यह कौन सा तरीका हुआ। अधिकारियों की वजह से कई बार सरकार बदनाम हो जाती है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को हस्तक्षेप कर पूरे मामले की जांच कराते हुए वित्तीय सहायता फिर से बहाल करानी चाहिए। सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा और महासचिव सतीश सेठी ने इस बारे में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखे हैं। मौलिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर पीटीआइ के आश्रितों को मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता बंद करने के आदेश जारी किए हैं। निदेशक के आदेश मिलते ही जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों ने खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर मासिक वित्तीय सहायता बंद करने के आदेश दे दिए। आखिरकार खंड शिक्षा अधिकारियों ने यह सहायता बंद कर दी है, जिस कारण 2010-11 से 2019 के बीच मृत्यु का शिकार हुए 39 पीटीआइ के आश्रितों के सामने भारी आर्थिक संकट पैदा हो गया है।
सुभाष लांबा के अनुसार आश्रितों के परिवार में अब कोई कमाने वाला नहीं है और विभाग ने मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता रोक दी है। पिछले एक महीने से बर्खास्त 1983 पीटीआइ अपनी सेवाएं बहाली की मांग को लेकर भीषण गर्मी में सड़कों पर धक्के खा रहे हैं और सभी विधायकों व मंत्रियों से मिल चुके हैं, लेकिन सरकार इनकी सेवा बहाली करने के विकल्पों पर गंभीरता से गौर करने के बजाय सेवा के दौरान स्वर्ग सिधार गए पीटीआइ के आश्रितों की मासिक वित्तीय सहायता बंद कर रही है।
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