सत्यखबर सफीदों, (महाबीर) – सफीदों क्षेत्र के राजकीय स्कूलों में मिड-डे मील का अनाज भंडारण टंकियों के अभाव में खुले में पड़ा हुआ है। स्कूलो में यदाकदा अनाज में कीड़े मिलने के समाचार भी सामने आते रहते हैं और उसके पीछे प्रमुख कारण अनाज का सही रूप से भंडारण ना होना सामने आया है। क्षेत्र के बहुत से राजकीय स्कूलों में अनाज भंडारण के लिए लोहे की टंकियां या कंटेनर या तो है ही नहीं और जिनके पास है वह इतने छोटे हैं कि उनमें ज्यादा अनाज भंडारित नहीं हो सकता।
यह बात तब सामने आई जब खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा राजकीय स्कूलों के प्राचार्यों व मुख्य अध्यापकों को कंटेनर या टंकी की मांग करने बारे पत्र लिखा गया है। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इतने लंबे समय तक शिक्षा विभाग कहां सोया हुआ था और इस गंभीर बात की ओर पहले क्यों नहीं ध्यान दिया गया। इस पत्र जारी होने के बाद जब कई स्कूलों को जांचा गया तो स्थिति वहीं मिली। कई स्कूलों में अनाज की बोरियां खुले में रखी हुई थी तथा कुछ स्कूलों में भंडारण के साधन बहुत कम या बहुत छोटे थे।
खंड शिक्षा अधिकारी ने क्या लिख्खा है पत्र में
खंड शिक्षा अधिकारी ने स्कूल मुखियाओं को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने मिड-डे मील निरीक्षण के दौरान पाया कि कुछ विद्यालयों में गेहूं व चावल के कैंटेनर व टंकी उपलब्ध नहीं जोकि एक बेहद गंभीर विषय है। टंकी ना होने की वजह से पाया गया कि गेहूं व चावल की बोरियां जमीन पर पड़ी हुई रहती हैं, जिससे गेहूं व चावल खराब हो जाते हैं।
उन्होंने स्कूल मुखियाओं से कहा कि जिन विद्यालयों में कैंटेनर या टंकी उपलब्ध नहीं हैं वे टंकी की डिमांड खंड कार्यालय में भेजें ताकि उनकी मांग को जिला मौलिक कार्यालय को भेजा जा सके। इस पत्र पर गौर किया जाए तो यह साफ जाहिर होता है कि स्कूलों में अनाज खराब हो रहा है और खराब अनाज को ही बच्चों को परोसा जा रहा है। अब यह भी सोचने विषय है कि खराब गुणवत्ता वाला अनाज जब बच्चों ने खाया होगा या खिलाया जा रहा है तो उनके स्वास्थ्य पर किस प्रकार का दुष्प्रभाव पड़ा होगा।
क्या कहते हैं खंड शिक्षा अधिकारी
जब इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी डा. नरेश वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों में ऐसी स्थिति नहीं है कुछ स्कूलों में अनाज की टंकियां नहीं है और उन स्कूलों से टंकियों की डिमांड खंड कार्यालय को भेजने के लिए कहा गया है। डिमांड आने के बाद या तो उन स्कूलों को टंकियां उपलब्ध करवाई जाएंगी या उन्हें टंकी खरीदने के लिए बजट प्रदान किया जाएगा।
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