सत्य खबर, रोहतक
आज मैना पर्यटन केंद्र रोहतक में आर्य समाज के नेताओं और सन्यासियों की और से एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया । पत्रकार वार्ता में झज्जर गुरुकुल के संचालक आचार्य विजयपाल व सार्वदेशिक प्रतिनिधी सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश ने एक संयुक्त ब्यान जारी कर ये कहा कि चंडीगढ पर पहला हक हरयाणा का है ।
उन्हौने कहा कि शाह कमिशन की सिफारिश के आधार पर चंडीगढ व अन्य हिंदी भाषी क्षेत्रो को हरयाणा में मिलाने की सिफारिश की गई थी । मगर उस वक्त हरयाणा के साथ न्याय नहीं किया गया व लगातार हरयाणा प्रदेश के अधिकार को चाहे SYL हो या अन्य विषय हो दबाया गया । एक बार फिर पंजाब सरकार की तरफ से चंडीगढ पर एकतरफा प्रस्ताव पास करके अपना हक जताया गया है मगर आर्य समाज इसका पुरजोर विरोध करता है.
आचार्य विजयपाल और स्वामी आर्यवेश ने कहा कि हिंदी आंदोलन हरयाणा निर्माण के आंदोलन से लेकर शराब बंदी हैदराबाद सत्याग्रह समेत अनेक सामाजिक उत्थान के आंदोलन आर्य समाज के नेतृत्व में ही लड़े गए हैं ।
हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि राजधानी चंडीगढ हरयाणा के हक का पानी और हिंदी भाषी क्षेत्रों पर हरयाणा का जो अधिकार बनता है वह उसे दिलाया जाए अन्यथा आर्य समाज एक बड़ा भारी आंदोलन खड़ा करेगा जो अतीत के सभी आंदोलनो से बड़ा होगा । आगे उन्हौने कहा कि आर्य समाज हमेशा प्रदेश हित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाता आया है और राजधानी चंडीगढ का मुद्दा एक ज्वलंत मुद्दा है । राजनैतिक पार्टियां हो सकता है अपने राजनैतिक स्वार्थो के लिए इस मुद्दे को उठा रहा हो मगर आर्य समाज एक गैर राजनैतिक संगठन है और आर्य समाज का उदेश्य केवल हरयाणा प्रदेश के हित और अधिकार हैं ।
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दोनो आर्य समाजी नेताओ ने बताया कि अगर इस समय चंडीगढ विषय पर चुप्पी साधी गई तो चंडीगढ पर हरयाणा प्रदेश का दावा कमजोर हो जाएगा । इसलिए आर्य समाज ने एक हरयाणा अधिकार संघर्ष समिति का गठन कर प्रदेश के हित के लिए आगामी आंदोलन की रणनीति बनाने का निर्णय लिया है ।
इस अवसर पर आचार्य योगेंद्र युवा संन्यासी आदित्यवेश , आचार्य हरिदत्त , कृष्ण शास्त्री बोहर , स्वामी नित्यानंद सत्यवीर शास्त्री, बिरजानंद देवकरर्णी आदि आर्य समाजी विद्वानो ने भी अपने अपने विचार रखे ।
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