सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
श्री रामा भारतीय कला केन्द्र के तत्वावधान में ऐतिहासिक रामलीला का मंचन श्रवण कुमार के प्रसंग के साथ प्रारंभ हुआ। रामलीला के प्रथम दिवस पर बाबा गैबी साहब के महंत अजय गिरी ने रामलीला का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि राम भारतीयता के कण-कण में बसे हैं। रामलीला भारत सहित दक्षिण पूर्वी एशिया के अनेक देशो में लोकप्रिय है। राम का जीवन संपूर्ण समाज के लिए आदर्श है। मंचन का प्रारंभ मातृ पितृ भक्त श्रवण कुमार के प्रसंग से हुआ। श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता को अपने कंधो पर धार्मिक स्थलों की यात्रा पर ले जाता है। राजा दशरथ द्वारा अनजाने मे उसका वध हो जाता है। जब श्रवण कुमार के माता-पिता को यह पता लगता है तो वे राजा दशरथ को श्राप देते है कि वह भी पुत्र वियोग मे प्राण देगा जैसे कि वे दे रहे है। यह प्रसंग हमें प्रारब्ध के बारे मे बताता है। पिछले जन्मों के कर्म फल अगले जन्मों में भी अवश्य मिलते है। इसलिए पुण्य कर्म संचित करने चाहिए। श्रवण कुमार के माता-पिता के विलाप ने दर्शकों की आँखो मे आँसू ला दिए। दशरथ की भूमिका में ओमप्रकाश जांगडा, श्रवण की भूमिका मे प्रमोद सिंगला, माता-पिता की भूमिका कुलदीप व प्रेम अरोड़ा ने सशक्त भूमिका अदा की। जादूगर सम्राट सूर्या ने अपनी जादू की कला की छटा बिखेरी। इस अवसर पर भारतभूषण गर्ग, अचल मित्तल, सुशील गर्ग, महावीर जैन, मेहरचंद पुजारी, राजेश गोयल, रामकुमार गोयल, संजय रोहिल्ला, रामकुमार, रानी चितारा, महेन्द्र, मुकेश गोयल आदि उपस्थित थे।
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