सफीदों, महाबीर मित्तल
राष्ट्रीय दलितोद्धारिणी के तत्वावधान में ग्राम रोझला की संत रविदास चौपाल में एक बौद्धिक शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें काफी तादाद में लोगों ने भाग लिया। लोगों को संबोधित करते हुए संदीप शास्त्री बुढ़ाखेड़ा ने बताया कि विद्या के बिना मनुष्य जीवन पशु के समान है। वर्तमान पाश्चात्य शिक्षा व्यवस्था हमें अक्षरज्ञान तो दे देती है परंतु वो सब सत्य सिद्धान्त जनाने में सक्षम नहीं जिनके अभाव में आज व्यक्ति दु:ख, पाखण्ड, अंधविश्वास, आडंबरों में फंसता जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा शिकार समाज का वंचित वर्ग रहता है। जिसे लंबे काल तक उन सब सत्य आर्य सिद्धान्तों को जानने का अवसर ही नहीं मिला जबकि वेद विद्या पर मनुष्य मात्र का जन्मसिद्ध अधिकार है। राष्ट्रीय दलितोद्धारिणी सभा ने सभी के लिए इस आर्य विद्या के मार्ग को खोल रखा है। शास्त्री जी ने बताया कि मनुष्य नशा व मांस आदि पर खुब धन खर्च करता है व अपने शरीर की हानि करता है। मांस आदि मनुष्य का भोजन नहीं है। मनुष्य का शरीर ईश्वर ने शाकाहारी का बनाया है। इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने सवित्रिम प्रक्रिया में गायत्री मंत्र की दीक्षा ली व नशा ,पाखंड, अंधविश्वास, मांसाहार त्यागने का संकल्प लिया। इस मौके पर ऋषिपाल रंगा, गोपीराम रत्ताखेड़ा, रवि सिंगला, सुमित कश्यप, साहिल, विकास, कुलदीप, पवन आर्य, अनिल, रितु, सरोज व मूर्ति मौजूद थे।
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