सत्य खबर, चण्डीगढ़
लिव-इन रिलेशनशिप (live-in Relationship) में रहने वाले प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा का डर सताता रहता है और कई बार उन्हें पछतावा भी होता हैं| वहीं इन दिनों पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) में लिव इन में रहने वाले प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा संबंधी याचिकाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है| इसे देखते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या सरकार के पास इसके लिए कोई कानूनी प्रस्ताव है|
*यूक्रेन संकट पर फिर होगी वार्ता, जेलेंस्की की चेतावनी- NATO पर भी मिसाइल हमले करेगा रूस*
कोर्ट ने कहा कि, “ कोई अधिनियम ऐसे किसी भी रिलेशन को नियंत्रित नहीं करता है और एक बार जब कोई व्यक्ति बहुमत अधिनियम, 1875, (अर्थात 18 वर्ष की आयु) के संदर्भ में वयस्कता प्राप्त कर लेता है, तो अदालत के लिए सुरक्षा देने से इंकार करना बेहद मुश्किल होगा, और इसलिए कानून मंत्रालय का संयुक्त सचिव रैंक का ऑफिसर मामले में हलफनामे के जरिए जवाब दाखिल करे|”
लिव-इन में रहने वाले किशोर मांग रहे सुरक्षा
न्यायमूर्ति अमोल रतन सिंह ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि अदालतों के सामने अब यह समस्या आ रही है कि 18 से 21 वर्ष की आयु के किशोर लिव-इन रिलेशनशिप में रहकर जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आ रहे हैं या सुरक्षा के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की मांग कर रहे हैं| न्यायमूर्ति सिंह उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे जिनमें याचिकाकर्ताओं ने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग की थी क्योंकि वे एक-दूसरे के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में थे| न्यायमूर्ति अनमोल रतन सिंह की बेंच ने कहा कि कई किशोर वयस्क हो जाते हैं लेकिन पूरी तरह मैच्योर नहीं हो पाते हैं और लिव इन में रहना शुरू कर देते हैं
*अब 75 साल तक मिलेगी पेंशन और भी कई फायदे! बदल गए ये बड़े नियम*
हालांकि कई को बाद में पछतावा भी होता है| इस तरह के फैसलों से प्रेमी जोड़ों के साथ-साथ उनके परिजनों को भी अघात पहुंचता है| कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि इस पर विस्तार से स्पष्ट करे कि क्या उसके पास किसी कानून में कोई प्रक्रिया प्रस्तावित है|
लिव-इन रिलेशनशिप के संबंध में कोई बिल अभी तक नहीं हुआ है पेश
वही सुनवाई के दौरान, भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, सत्य पाल जैन ने अदालत को सूचित किया कि उनकी जानकारी के अनुसार बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में एक संशोधन प्रस्तावित किया गया है, इसमें महिलाओं के लिए विवाह योग्य आयु भी 21 वर्ष (18 वर्ष से) करनी है, ताकि उन्हें पुरुषों के बराबर लाया जा सके| हालांकि, लिव-इन रिलेशनशिप के संबंध में, अभी तक ऐसा कोई बिल पेश नहीं किया गया है| फिलहाल कोर्ट ने मामले को 21 मार्च के लिए स्थगित कर दिया है|
Aluminum scrap recycling projects Aluminium scrap dross recycling Scrap metal treatment