सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – सत्तारुढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा सफीदों में सैकड़ों करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए जाने के दावे पिछले 5 वर्षों से निरंतर किए जा रहे हैं लेकिन नगर का ऐतिहासिक महत्व रखने वाला खानसर चौंक और यहां की सडक़ इन विकास के दावों का मुंह चिढ़ा रही है। यह चौंक सत्तासीनों से पूछ रहा है कि क्या मेरा भी कभी विकास होगा?। इस चौंक व सडक़ की बदहाली को लेकर लोगों में लगातार रोष व्याप्त होता जा रहा है। बता दें कि पानीपत को सफीदों और सफीदों को असंध से सफीदों का खासनर चौंक जोड़ता है और यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
इस चौंक से हर रोज हजारों वाहनों का रेला निकलता है और इन वाहनों को चलाने वाले चालक यहां के शासन और प्रशासन को कोसते हुए निकलते हैं। इस चौंक के मार्ग पर कई-कई फुट गहरे गड्ढे हैं और फांकने के लिए धूल ही धूल है। सफीदों आने से पहले पालिका द्वारा स्वागत द्वार अवश्य लगा है लेकिन जैसे ही वाहन चालक खांसर चौंक पर प्रवेश होता है तो धूल के बड़े-बड़े गुबार व गड्ढे उसका स्वागत करते हैं। दुपहिया वाहन चालक को रेत की मोटी चादर अपने आगोश में ले लेती है। सडक़ की बदहाल स्थिति कारण संपूर्ण नगर खासकर इस चौंक पर काम करने वाले दुकानदार व निवासी भारी परेशान है और बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
बारिश के दौरान तो स्थिति अत्यंत गंभीर हो जाती है और कई-कई फूट पानी इकठ्ठा हो जाता है। सडक़ में पड़े गड्ढों के कारण अनेक वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। खानसर चौंक वैसे तो ऐतिहासिक महत्व का स्थान है लेकिन इसके साथ-साथ वह खाने पीने की चीजों खासकर ढाबों के लिए विशेष रूप से मशहूर है। दूर-दूर से लोग इस चौंक पर स्थित ढाबों की दाल फ्राई खाने के लिए रूकते हैं लेकिन अब उन्हे खाने के साथ-साथ सडक़ से उठती धूल भी खानी पड़ रही है।
बदहाली के कारण यहां पर अब यात्रियों के वाहनों का ठहराव भी पहले की अपेक्षा कम हुआ है और जिसको लेकर यहां के ढाबा संचालक काफी परेशान हैं। कई ढाबा संचालक तो दिनभर सडक़ पर पानी छिडक़ते हुए दिखाई पड़ते हैं। लोगों ने मांग की है कि अब केवल दावों से काम चलने वाला नहीं है। यहां के नेता दावें करना छोडक़र धरातल पर विकास करवाएं। उन्होंने शासन और प्रशासन से मांग की है कि इस चौंक का सौंदर्यकरण के साथ-साथ इस सडक़ को तुरंत प्रभाव से बनवाए ताकि समस्या से निजात मिल सके।
सफीदों का खासनर चौंक अपने आप में ऐतिहासिक महत्व समेटे हुए है। इसे हंसराज तीर्थ के नाम से भी जाना व पहचाना जाता है और यहां पर संस्कृत पाठशाला, तीर्थ व पौराणिक शिव मंदिर भी स्थापित है। इस तीर्थ के साथ देश-विदेश के लोगों की आस्था भी जुड़ी है और यहां पर दर्शनों के लिए बहुत लोग आते हैं। इसी वर्ष फरवरी माह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी इस तीर्थ पर पहुंचे थे और यहां के विकास के लिए करीब 3 करोड़ 25 लाख रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में आने वाले तीर्थों का जीर्णोदार किया जाएगा। हरियाणा सरकार ऐतिहासिक धरोहरों व तीर्थों के विकास के लिए पूरी तरह से कृतसंकल्प है।
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