सत्यखबर, जींद
जींद। प्रदेश में शराब घोटाले की जांच के लिए गठित एसईटी ने सरकार से 31 मई की समय सीमा दो माह तक बढ़ाने की मांग की थी,जिसे आज मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मान लिया है। इस बीच सरकार की ओर से एसईटी में शामिल एडीजीपी सुभाष यादव के सेवानिवृत्ति के आर्डर जारी कर दिए गए हैं। वे 31 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पहले ये अटकले थीं कि एसईटी की समय सीमा बढऩे पर सुभाष यादव को एक्सटेंशन दी जा सकती है,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुभाष यादव एडीजीपी के पद से रिटायर हुए हैं और कई जिलों में पुलिस कमिश्नर व एसपी रह चुके हैं। उनका कार्यकाल 31 मई तक था,लेकिन 30 व 31 मई को शनिवार तथा रविवार का अवकाश होने की वजह से उनकी रिटायरमेंट 29 मई शुक्रवार को ही हो गई। कयास लगाए जा रहे थे कि सुभाष यादव को सरकार तीन माह की एक्सटेंशन दे सकती है। तीन माह की एक्सटेंशन देने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है,जबकि छह माह तक की एक्सटेंशन केंद्र सरकार दे सकती है। टीसी गुप्ता की इस कमेटी को शराब घोटाले की जांच रिपोर्ट भी 31 मई को ही देनी थी,लेकिन न तो सुभाष यादव को एक्सटेंशन मिल पाई और न ही टीसी गुप्ता की कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर सकी। ऐसे में यह जांच लंबे समय के लिए उलझ गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार टीसी गुप्ता कमेटी में किसी सीनियर आइपीएस अधिकारी को शामिल करने के लिए दोबारा से आइपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल तैयार होगा। इस पैनल में तीन नाम होंगे। गृह मंत्री के पास से होते हुए गृह सचिव के जरिये यह नाम मुख्यमंत्री तक पहुंचेंगे। तब कहीं जाकर टीसी गुप्ता कमेटी के लिए नए आइपीएस अधिकारी का नाम तय किया जाएगा। आबकारी एवं कराधान विभाग के अतिरिक्त आयुक्त विजय सिंह भी इस कमेटी में शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार टीसी गुप्ता कमेटी ने अभी तक अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं की है। इस कमेटी को काफी काम करना बाकी है। कई जिले अभी जांच से अछूते हैं। टीसी गुप्ता कमेटी ने पुलिस विभाग और आबकारी एवं कराधान विभाग से कुछ जानकारियां मांग रखी हैं। यह जानकारी जुटाने में भी अभी समय लग सकता है। लिहाजा शराब घोटाले की जांच की नौटंकी अब लंबी चलने के आसार हैं। बता दें कि हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने शराब घोटाले की जांच के लिए एसआइटी बनाने के आदेश दिए थे, लेकिन नोटिफिकेशन एसईटी की जारी कर दी गई थी। बाद में एसईटी को एसआइटी के समान पावर देने की प्रक्रिया शुरू की गई। मुख्यमंत्री कार्यालय तक बात पहुंची तो एडवोकेट जनरल से राय ली गई, जिस पर उन्होंने कहा कि एसईटी को एसआइटी की पावर नहीं दी जा सकती, लेकिन जांच के आधार पर एफआइआर दर्ज की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि अब शराब घोटाले की जांच के नाम पर लीपापोती संभव है अथवा मामले की तह में पहुंचने के लिए काफी समय लग सकता है।
राजनीतिक में नहीं पडऩा चाहते थे सुभाष यादव
हरियाणा के सीनियर आइपीएस अधिकारी सुभाष यादव करीब एक माह पहले ही आइजी से एडीजीपी के पद पर प्रमोट हुए थे। यदि उन्हेंं एक्सटेंशन मिल जाती तो जांच रिपोर्ट पर उनके भी हस्ताक्षर होते। ऐसे में उन्होंने किसी भी तरह के राजनीतिक झमेले से बचने के लिए खुद ही एक्सटेंशन लेने के लिए जोर आजमाइश नहीं की। इसकी एक वजह यह है कि शराब घोटाले की जांच कहीं न कहीं गृह मंत्री अनिल विज और आबकारी एवं कराधान मंत्री के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की प्रतिष्ठा से जुड़ी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर सुभाष यादव किसी तरह के विवाद में नहीं पडऩा चाहते थे। लिहाजा चुपचाप रिटायर हो गए।
खिरवार को एसईटी में शामिल किए जाने पर विचार
अब रोहतक रेंज के एडीजीपी संदीप खिरवार को एसईटी में शामिल किए जाने पर विचार हो रहा है। माना जा रहा है कि खिरवार पहले से ही इस मामले को देख रहे हैं। उनकी निगरानी में ही शराब घोटाले से संबंधित सभी एफआईआर दर्ज हुई हैं। खिरवार की गिनती हरियाणा के तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों में की जाती है। कुल मिला कर एसईटी की समय सीमा बढ़ी तो यह मामला लंबा खिंचेगा। सूत्रों के मुताबिक जो काम एसईटी को दिया गया है। वह तय समय सीमा में पूरा हो पाना भी मुश्किल है। जिस स्तर का यह शराब घोटाला है, उस स्तर पर सभी पहलुओं की जांच की जाए तो अभी तीन से छह माह का समय भी लग सकता है। आबकारी और पुलिस महकमे की मिलीभगत को जांचने के लिए भी लंबा समय चाहिए। यह सारा कुछ 31 मई से पहले एसईटी के लिए जांच करना संभव नहीं था।
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