सत्य खबर
कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों और सरकार के बीच आज नौ वें दौर की बातचीत हुई.आज की बैठक भी बेनतीजा रही.सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं.सरकार ने आज की बैठक में साफ कर दिया कि वो कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी.वहीं किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं.आज की बैठक में भी कोई हल नहीं निकलने के बाद सरकार और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को एक बार फिर बैठक होगी.
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आज की बैठक करीब 3 घंटे चली. अब 15 जनवरी को फिर सरकार और किसान नेताओं के बीच बैठक होगी.इससे पहले बैठक में किसान नेता बलवंत सिंह ने एक नोट लिखा है.सरकार से नाराज दिख रहे बलवंत सिंह ने लिखा कि या मरेंगे या जीतेंगे. वहीं, सूत्रों के हवाले से खबर है कि किसानों ने लंच नहीं किया.
इससे पहले, चार जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी, क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे, वहीं सरकार समस्या वाले प्रावधानों या गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विकल्पों पर ही बात करने पर जोर दिया.किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों, पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी.
सरकार के साथ बातचीत से पहले गुरुवार को हजारों किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली.पिछले साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है.सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे.दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी और खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी.
गौरतलब है कि किसान पिछे एक महीने के ज्यादा समय से कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं.ऐसे में सरकार से उनकी बातचीत लगातार विफल हो रही है.जिसके चलते प्रदेश भर में किसान सरकार के लोगों और अंबानी अडानी का विरोध कर रहे हैं.कल किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाल सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तो वो 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर परेड़ करेंगे.फिलहाल अब देखना ये होगा कि अगले दौरा की बातचीत में सरकार किसानों की मांगे मान पाती है या नहीं.
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