सत्य खबर
I&B मिनिस्ट्री ने सीरीज के निर्माताओं के साथ बैठक की। इसमें विवादित सीन को हटाने का फैसला किया गया। इसके साथ ही तांडव पहली ऐसी वेब सीरीज बन गई, जिसके कंटेंट को हटाया गया। वहीं, फिल्म निर्देशक ने इन सीन के लिए माफी भी मांगी है।
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तांडव के किन दृश्यों पर विवाद है?
- पहला विवाद- पहले एपिसोड का पहला सीन
तांडव के दो सीन पर विवाद है। पहला सीरीज के पहले एपिसोड के एक सीन को लेकर है। इसमें एक्टर जीशान आयूब अपने कॉलेज में भगवान शिव का रोल निभाते हैं। इसमें वे कहते हैं कि भगवान राम की तुलना में उनके सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स कम हैं। वो नारद से फॉलोअर्स बढ़ाने का तरीका पूछते हैं।
इस पर नारद कहते हैं कि वो कुछ विवादित ट्वीट करें। इसके बाद दोनों यूनिवर्सिटी में आजादी-आजादी के नारे लगाने को लेकर बात करते है। पूरे सीन में बताया गया है कि छात्र गरीबी, बेरोजगारी और जातिगत भेदभाव से आजादी की मांग कर रहे हैं। अंत में शिव कहते हैं कि देश से नहीं, देश में रहते हुए आजादी चाहिए। इस पूरे सीन में एक जगह शिव की भूमिका में जीशान आपत्तिजनक शब्द बोलते हुए दिखाई देते हैं।
- दूसरा विवाद – 8वें एपिसोड का सीन
दूसरा विवाद सीरीज के 8वें एपिसोड के दूसरे सीन को लेकर है। इसमें संध्या (संध्या मृदुल) अपने बॉयफ़्रेंड और दलित राजनेता कैलाश (अनूप सोनी) से एक्स हसबैंड की बात शेयर करती हैं। इसमें वे कहती हैं कि एक बार उनके एक्स पति ने कहा था कि जब एक छोटी जाति का आदमी ऊंची जाति की औरत को डेट करता है, तो सिर्फ बदला लेने के लिए… इसमें कैलाश के साथ रिलेशनशिप में आने के बाद संध्या प्रेग्नेंट हो जाती हैं। कैलाश संध्या से झूठ बोलते हैंं कि रिलेशनशिप में आने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था। ये एक तरह की जातिगत टिप्पणी है।
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सरकार ने किस कानून के तहत तांडव के दृश्यों को हटाने को कहा?
OTT प्लेटफॉर्म की किसी सीरीज के सीन को लेकर पहली बार सरकार ने सीधा हस्तक्षेप किया है। अब ऐसे में सवाल है कि सरकार ने किस कानून के जरिए इस तरह का हस्तक्षेप किया है। दरअसल, भारत में OTT प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए न कोई कानून है और न कोई नियम है। प्रिंट और रेडियो तो अलग-अलग कानूनों के तहत आते हैं। OTT एक सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है।
द इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के पास OTT प्लेटफॉर्म को लेकर सेल्फ-रेगुलेटरी मॉडल है। इससे पहले नवंबर में सरकार ने सभी OTT और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म के कटेंट पर I&B मिनिस्ट्री को नजर रखने को कहा था। हालांकि, टीवी या फिल्म की तरह OTT प्लेटफॉर्म में कॉन्ट्रैक्ट नहीं होता है। इस समय इस कानून का अभाव है।
सरकार चाहती थी कि ये दो सीन हटें। जाहिर है कि मिनिस्ट्री ने भी इन सीन पर आपत्ति जताई होगी। इससे पहले सरकार OTT प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेगुलेशन कोड बनाने के लिए कह चुकी है। अगर OTT प्लेटफॉर्म ऐसा नहीं करते हैं, तो सरकार कोड बनाने पर विचार कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिनिस्ट्री मानती है कि किएटिव फ्रीडम के नाम पर कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं दे सकते। थियेटर और OTT के लिए अलग स्टैंडर्ड नहीं हो सकते हैं।
तांडव से दो सीन हटा दिए गए, तब उसके खिलाफ दाखिल FIR का क्या होगा?
हैदराबाद की NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर दो सीन को लेकर FIR की गई है, और उन सीन को हटा लिया गया है तो फिर FIR का मतलब नहीं रह जाता है। हमें ये देखना होगा कि जहां FIR की गई है, वो सीन को लेकर है या पूरी वेब सीरीज को लेकर है। महाराष्ट्र में घाटकोपर से भाजपा विधायक राम कदम ने मेकर्स के खिलाफ जो FIR की थी उसमें इन्हीं दो सीन का जिक्र था। मुस्तफा के मुताबिक अब उनकी FIR का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
क्या इससे पहले भी वेब सीरीज से दृश्य हटवाए गए हैं?
नहीं। लेकिन ये पहला मौका नहीं है, जब OTT की कोई सीरीज को लेकर विवाद हुआ है। इससे पहले नेटफ्लिक्स की सूटेबल बॉय को लेकर विवाद हुआ था। तब मध्यप्रदेश में बीजेपी के नेता ने आपत्तिजनक कंटेंट दिखाने को लेकर FIR दर्ज की थी। रक्षा मंत्रालय ने गुंजन सक्सेना फिल्म पर भी आपत्ति जताई थी। इसके पहले सेक्रेड गेम्स को लेकर भी FIR दर्ज हुई थी। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आलोचना की वजह से अमेरिकन शो Last Week Tonight with John Oliver को हॉटस्टार ने ब्लॉक कर दिया था। लेकिन ऐसा पहली बार है, जब सरकार ने हस्तक्षेप कर किसी सीरीज के सीन को हटवाया है।
वेब सीरीज का कंटेंट किस तरह रेगुलेट होता है?
- भारत में जितने भी मीडिया प्लेटफॉर्म हैं, उनको रेगुलेट करने के लिए एक बॉडी है। प्रिंट मीडिया को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) रेगुलेट करती है। टीवी न्यूज चैनल को न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन रेगुलेट करता है। टीवी विज्ञापन को एडवरटाइसिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया रेगुलेट करता है। फिल्मों को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) यानी सेंसर बोर्ड रेगुलेट करता है। OTT प्लेटफॉर्म एक तरह से सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसके लिए अब तक कोई रेगुलेशन नहीं है।
- द इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के पास OTT प्लेटफॉर्म को लेकर सेल्फ-रेगुलेटरी मॉडल है। जिस पर 7 सितंबर 2020 को 15 बड़े OTT प्लेटफॉर्म ने साइन किया था। इसमें OTT प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेगुलेट करने की बात कही थी। सेल्फ रेगुलेशन कोड में ऐज क्वालिफिकेशन, कॉन्टेंट डिस्क्रिप्शन और पैरेंटिंग कंट्रोल आता है।
- ऐज क्वालिफिकेशन में हर उम्र के हिसाब से सीरीज और फिल्म को कैटेगराइज किया जाता है। कॉन्टेंट डिस्क्रिप्शन में कंटेंट का डिस्क्रिप्शन बताया जाता है। साथ ही पैरेंटिंग कंट्रोल दिया जाता है। इस कोड के हिसाब से यूजर्स पर तय कर दिया जाता है कि उसे क्या देखना है, और क्या नहीं।
- सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2020 में एक याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि बिना जांचे OTT प्लेटफॉर्म का कटेंट पब्लिक डोमेन में है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यहां पर केंद्र सरकार से हम जवाब मांगते हैं कि OTT प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए कुछ इंतजाम क्यों नहीं किए हैं?
- इसके बाद केंद्र सरकार ने 11 नवंबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन ऑडियो-विजुअल कंटेंट प्रोवाइड करने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स को I&B मिनिस्ट्री की निगरानी के दायरे में लाया गया। इस ऑर्डर के बाद से मिनिस्ट्री OTT को रेगुलेट कर रही है।
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सरकार के हस्तक्षेप से आगे किस तरह की स्थिति बन सकती है?
सरकार के सीधे हस्तक्षेप के बाद सभी OTT प्लेटफॉर्म सतर्कता बरतेंगे। इस तरह कानून की अनदेखी वे आगे नहीं कर पाएंगे। अगर नवंबर में जारी नोटिफिकेशन के अनुसार सरकार किसी तरह की रेगुलेटरी बॉडी बनाती है तो OTT प्लेटफॉर्म को नए कंटेट को रिलीज करने से पहले I&B मिनिस्ट्री से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा। अगर मंत्रालय को किसी कंटेंट पर आपत्ति होती है तो उसे बैन किया जा सकेगा।
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