सफीदों, (महाबीर मित्तल): उपमंडल के गांव बहादुरपुर में पिता के बकाए बिल का हवाला देकर एक बिजली उपभोक्ता का कनेक्शन काट दिए जाने व बकाया राशी जमा करवाने के मामले में सीएम विंडों ने अपना फैसला सुनाते हुए बिजली वितरण निगम को उपभोक्ता से जमा करवाई गई रकम ब्याज सहित वापिस लौटाने के आदेश दिए है। वहीं सीएम विंडों के एलीमेंट पर्सन रोहतास सैनी व रामदास प्रजापत ने अपने फैसले में कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इस बिजली निगम की नादिरशाही करार दिया है। बता दें गांव बहादुरपुर के बिजली उपभोक्ता कृष्ण कुमार ने सीएम विंडों में शिकायत देकर कहा था कि उसके यहां बिजली मीटर नंबर जे22एसबी110373 लगा हुआ है। मैने अपना बिल समय पर भरता आ रहा हुं। उसने दिसंबर माह में 484 रूपए का दिल अदा किया था। उसके बाद जनवरी 2022 में मेरे पास 159721 रूपए का आया। यह बिल देखकर मैं हैरान रह गया। जब उसने विभाग में संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मेरे पिता का बिल बकाया था जोकि उसके खाते में ड़ाल दिया गया है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उसके पिता का बिल 80000 रूपए था जोकि गलती से डबल चढ़ गया है। उसके बाद विभाग ने मेरे पिता के बिल की बकाया राशी का बिल ठीक करके 85402 रूपए कर दिया गया। जब मेरे पिता का मीटर बिजली विभाग द्वारा उनके जीते जी बंद किया गया तो उनका बकाया बिल 33000 रूपए था। मेरे पिता के देहांत को करीब 10 वर्ष हो चुके है। मेरे पिता की जायदाद मेरी मां व भाई के पास है। मैंने उनसे अपना कोई हिस्सा नहीं लिया हुआ है। मेरा मीटर मेरे नाम से अलग लगा हुआ है। कृष्ण ने कहा कि इसी वर्ष 23 मार्च को लाईनमैन व जेई ने मुझे डिफाल्टर घोषित करते हुए मेरे घर से बिजली का मीटर उखाड़ लिया। इस शिकायत के जवाब में बिजली वितरण निगम के एसडीओ विक्रम सिंह ने शिकायतकर्ता के पिता चंद्र सिंह के नाम खाता संख्या एसबी11-142 बिजली कनेक्शन था। जिसकी तरफ बिजली बिल की बकाया राशी 75965 रूपए थी। इस कारण यह कनेक्शन पीडीसीओ नंबर 100/70 दिनांक 09 फरवरी 2015 को काट दिया गया था। निगम के नियमानुसार उसी परिसर में एसबी11-373 का कनेक्शन होने के कारण ये राशी 79645 रूपए खाता नंबर एसबी11-373 में डाल दी गई। बिल ना भरने के कारण यह कनेक्शन 24 मार्च 20222 को काट दिया गया। अब उपभोक्ता ने एमजीजेजी स्कीम में ब्याज माफी में कुल बिल 85402 रूपए में से सरचार्ज 32502 रूपए घटाकर 52900 रूपए 28 मार्च 2022 को भर दिया है। बिल भरने के बाद इस कनेक्शन का आरसीओ कर दिया गया है। दोनों पक्षों की सुनने के बाद सीएम विंडो के एनीमेंट पर्सन ने रोहतास सैनी व रामदास प्रजापत ने अपने फैसले में लिखा कि प्रार्थी कृष्ण कुमार ने जब वर्ष 2011 में बिजली का कनेक्शन लिया था उसी वक्त अगर विभाग के अधिकारी प्रार्थी के पिता के बिल का ऐतराज लगा देते तो प्रार्थी अपने पिता का बिल भर देता। यह विभाग की कार्यवाही बनती थी। प्रार्थी का मीटर उखाडऩा एक नादिरशाही है। इस केस में विभाग के कर्मचारी ही दोषी हैं। प्रार्थी का मीटर वर्ष 2011 में लगा था जबकि विभाग ने वर्ष 2013 में मीटर लगा हुआ दर्शाया है जबकि प्रार्थी ने वर्ष 2011 में मीटर लिया था। नियमानुसार वर्ष 2011 में इसके पिता के नाम जितना बिजली बिल बकाया था वही सही बिल बनता है। वर्ष 2011 में प्रार्थी के पिता के नाम केवल 11266 रुपए बकाया था। प्रार्थी से वर्ष 2011 के अनुसार केवल 11266 रुपए लेकर बाकी की 41687 रूपए की रकम ब्याज समेत वापस किए जाएं। वहीं उपभोक्ता कृष्ण कुमार ने कहा कि सिर्फ पैसे लौटाने भर से बात बनने वाली नहीं है। इस सारे प्रकरण के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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