सफीदों, (महाबीर मित्तल)
व्यापार व व्यापारी की सूध नहीं ली तो व्यापारी वर्ग निकट भविष्य में होने वाले बडौदा उपचुनाव में सरकार का खुलकर विरोध करेगा। यह बात राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कही। वे वीरवार को सफीदों में युवा व्यापारी नेता हिमलेश जैन के निवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव विकास गर्ग व प्रदेशाध्यक्ष गुलशन डंग ने भी पत्रकारों को संबोधित किया। अशोक बुवानीवाला ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण 60 लाख करोड़ सालाना का खुदरा व्यापार खतरे में है और खुदरा व्यापार को इस संकट से उबारने के लिए एक विशेष पैकेज की आवश्यकता है लेकिन सरकार ने अब तक कोई आर्थिक पैकेज घोषित नहीं किया है जिसके कारण देश में करीब 1.75 करोड़ दुकानों पर ताला लग जाने की संभावनाएं पैदा हो गईं हैं। देशभर में लगभग 7 करोड़ व्यापारी करीब 40 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं।
अशोक बुवानीवाला ने व्यापारी के लिए सरकार से की विशेष पैकेज की मांग
ये व्यापारी करीब 60 लाख करोड़ रुपए सालाना का बिजनेस करते हैं और उस व्यापार के माध्यम से सरकार को भारी तादाद में रकम टैक्स के रूप में देते हैं। निराशाजनक बात यह है कि कोरोना से प्रभावित हर सेक्टर को सरकार ने वित्तीय पैकेज दिया, लेकिन 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज में व्यापारियों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। बुवानीवाला ने कहा कि आजादी के पहले से चले आ रहे कई गैर-जरूरी दबाव बनाने वाले कानूनों को समाप्त किया जाना चाहिए। इन कानूनों की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किए जाए। बिजनेस पर लागू 28 तरह के लाइसेंस के बजाय एक लाइसेंस की व्यवस्था की जानी चाहिए। खुदरा व्यापार में काम कर रहे कारोबारियों का सही आंकड़ा जानने के लिए शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत सभी व्यापारियों का पंजीकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए।
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हर व्यापारी को यूनिक नंबर दिया जाना चाहिए। बैंकों के रवैये की वजह से कारोबारियों को मुद्रा लोन लेने में दिक्कत होती है इसलिए सरकार बैंक, एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की लोन देने की क्षमता बढ़ाए। बुवानीवाला ने कहा कि देश के हर जिले में विशेष जोन बनाया जाए, जहां सामान बनाने वाले व्यापारियों को रियायती दरों पर जमीन मुहैया कराई जाए। इन निर्माण इकाइयों के लिए मंजूरी दिलाने की जिम्मेदारी किसी एक विभाग को दी जाए। हर जिले में जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर की अध्यक्षता में व्यापारियों व अधिकारियों की संयुक्त समिति बनाई जाए ताकि व्यापारियों की समस्याओं का हल हो सके। कॉरपोरेट सेक्टर के लिए आयकर स्लैब 22 फीसदी है, जबकि व्यापारियों को 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है जिसमें सुधार किए जाने की आवश्यकता है।
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बुवानीवाला ने कहा कि डिजिटल भुगतान पर लगने वाला बैंक चार्ज खत्म होना चाहिए तथा ई कॉमर्स पॉलिसी के नियमों का उल्लंघन करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों और आढ़तियों का आपसी रिश्ते व भाईचारे को ख्खराब करना चाहती है। किसान की मुसीबत, खुशी व गमी में अगर कोई काम आता है तो वह आढ़ती है। किसान व आढ़ती का चोली दामन का साथ है लेकिन इन अध्यादेशों के माध्यम से सरकार इन दोनों के रिश्ते को तोड़ रही है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों अध्यादेश देश के किसान व किसानी की तबाह कर देगा।
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ये अध्यादेश केवल और केवल बड़े-बड़े उद्योगपतियों व पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का एक षडय़ंत्र मात्र है। उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार एमएसपी पर किसान की फसल खरीदने की बात कह रही है लेकिन अध्यादेश को गौर से पढ़ा जाए तो इसमें एमएसपी का कहीं पर भी जिक्र नहीं है। इन अध्यादेशों के कारण देश व प्रदेश की मंडियों में आढ़त का कार्य करने वाले व्यापारी पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे तथा वह दिन दूर नहीं जब मंडियां खत्म हो जाएंगी। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन व्यापारी व किसान के हितों की लगतार आवाज उठा रहा है और उठाता रहेगा। इस मौके पर प्रमुख रूप से हिमलेश जैन, प्रवीन मित्तल, बिल्लू सिंगला, विजय गर्ग, कृष्ण जैन, मुकेश क्वात्रा, बंसीलाल धींगड़ा, संजीव चोपड़ा, कपिल मेहता, पवन धवन, सुरेश दुआ, किशोरी लाल छाबड़ा मौजूद थे।
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