सिरसा (राजेन्द्र सिंधु)
हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने धान की खेती को लेकर अपने पुराने फैसले को पलट दिया है। प्रदेश में किसान अब अपनी मर्जी से धान की खेती कर सकेंगे। किसानों के धान उगाने के फैसले को सरकार ने स्वैच्छिक कर दिया है। 8 ब्लॉक्स में धान उगाने के बैन वाले फैसले को सरकार ने वापस ले लिया है, हालांकि पंचायती जमीन पर धान न बोने का फैसला जस का तस बरकरार है। कृषि मंत्री जेपी दलाल ने ‘हरियाणा न्यूज’ से बातचीत में इसकी पुष्टि की है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले दिनों लोगों से ज्यादा से ज्यादा पानी बचाने की अपील करते हुए ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना का किया ऐलान किया था। सीएम ने कहा था कि कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां धान की खेती की बजाय अन्य फसल जैसे मक्का, दाल, कपास और तिल आदि जैसी फसलों का उत्पादन किया जा सकता है। ऐसे किसान, जो एक निश्चित मानक तक धान की खेती करना छोड़ते हैं तो उन्हें प्रोत्साहन राशि के रूप में 7,000 रुपये प्रति एकड़ सरकार देगी।बता दें कि हरियाणा सरकार ने सात जिलों में पट्टे पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों के लिए धान की रोपाई करने पर रोक लगा दी थी। विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के प्रधान सचिव द्वारा उक्त सातों जिलों के उपायुक्तों, डीडीपीओ तथा बीडीपीओ के नाम जारी एक पत्र में कहा गया था कि हरियाणा के सात जिलों के आठ ब्लाकों में पट्टे पर जमीन लेकर धान की पैदावार पर रोक लगा दी है। फील्ड अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने-अपने क्षेत्र का दौरा करके यह तय करें कि किसान धान की पैदावार न करें।
सरकार ने यह फैसला भूमिगत जलस्तर पर में लगातार आ रही गिरावट के चलते लिया है। हरियाणा में पिछले करीब पांच वर्षों के दौरान औसतन 2.20 मीटर पानी का स्तर नीचे चला गया है। कई जिले तो ऐसे हैं जहां भूमिगत जल स्तर में पांच मीटर तक की गिरावट आ चुकी है। हरियाणा में भूमिगत जलस्तर में तेजी से आ रही गिरावट के चलते प्रदेश सरकार ने पिछले साल जल ही जीवन है मिशन शुरू कर प्रदेश में धान बाहुल्य जिलों में किसानों के लिए फसल विविधिकरण पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था
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