सत्य खबर,चण्डीगढ़
भारत के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान रवि दहिया और बजरंग पूनिया उन छह पहलवानों में शामिल हैं जिन्हें मंगलवार को कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के लिए सेलेक्ट किया गया है. दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सीनियर फ्री स्टाइल कुश्ती के लिए हुए चयन ट्रायल में 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए इन पहलवानों को चुना गया. जिन 6 पहलवानों का चयन कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के लिए हुआ है उनमें रवि दहिया (57) किलोग्राम, बजरंग पूनिया (65 किलोग्राम), नवीन (74 किलोग्राम) दीपक पूनिया (86 किलोग्राम) दीपक (97 किलोग्राम), मोहित दहिया (125 किलोग्राम) के नाम शामिल हैं. 2022 राष्ट्रमंडल खेल ब्रिटेन के बर्मिंघम में 28 जुलाई से 8 अगस्त के बीच आयोजित होंगे.टोक्यो ओलंपिक 2020 में रेसलर रवि दहिया ने 57 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीता था. रवि दहिया ने सेमिफाइनल में कजाकिस्तान के सनायव नूरिस्लाम को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी. फाइनल मुकाबले में वो रूस ओलंपिक समिति (आरओसी) के जायूर उगयेव से हार गये थे और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा. रवि दहिया ऐसे दूसरे पहलवान हैं जिन्होंने ओलंपिक में भारत को रजत पदक दिलाया है. रवि दहिया हरियाणा के सोनीपत जिले के रहने वाले हैं.
रवि दहिया का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले में हुआ है.रवि दहिया का रुझान स्कूल में ही कुश्ती की तरफ हो गया था. 8 साल की उम्र में ही रवि ने कुश्ती के अखाड़े में अपने प्रतिद्वंदियों को पटखनी देना शुरू कर दिया था. घरवालों ने भी रवि का भरपूर साथ दिया. परिजनों का साथ और रवि की कड़ी मेहनत का नतीजा हैं कि टोक्यो ओलंपिक में उन्होने देश को रजत पदक दिलाया.भारत के स्टार पहलवान बजरंग पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराकर टोक्यो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता में पुरुषों के 65 किग्रा भार वर्ग में यह पदक जीता. बजरंग पूनिया का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले में हुआ था. उनका परिवार तकरीबन सात पहले सोनीपत में इसलिए चला गया था ताकि अच्छे तरीके से अभ्यास कर सकें. सोनीपत आने के बाद उन्हें योगेश्वर दत्त का भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ. दिलचस्प बात है कि बजरंग पूनिया के पिता भी पहलवान हैं. उनके पिता का नाम बलवान पूनिया है. उनकी उंगली को पकड़कर अखाड़े तक का सफर तय करने वाले बजरंग का नाम हनुमान जी के नाम पर रखा गया है. बचपन में देखे सपने और अपने गुरु योगेश्वर दत्त की तरह चैंपियन बनने का सपना उन्होंने यह मेडल हासिल करके सच कर दिखाया है.बजरंग पूनिया का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले में हुआ है.इससे पहले बजरंग पूनिया विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में तीन बार (2013, 2018, 2019) मेडल अपने नाम कर चुके हैं.
इसमें से दो बार उन्होंने सिल्वर और एक बार कांस्य पदक जीता है. इसके अलावा एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में सात खिताब जीत चुके हैं. इसमें से दो गोल्ड, तीन सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं. पूनिया ने इसके अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड कोस्ट 2018 में गोल्ड, कॉमनवेल्थ गेम्स ग्लासगो 2014 में सिल्वर पदक, और एशियन गेम्स 2014 में सिल्वर व एशियन गेम्स 2018 में गोल्ड मेडल जीता है. पूनिया को 2019 का राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी मिल चुका है.
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