सत्य खबर
करनाल जिले की सीमा व आवर्धन नहर के किनारे बसे राझेड़ी गांव की पहचान सब्जियों की खेती से हो गई। शिमला मिर्च व गोभी की फसल की बदौलत किसानों ने बुलंदियां छू ली। जानकार हैरानी होगी कि गांव में करीब 10 हजार एकड़ जमीन पर में खेती होती है। इसमें आठ हजार एकड़ में किसान केवल शिमला मिर्च और गोभी ही उगाते हैं। दोनों फसलें किसानों को खूब मालामाल कर रही हैं। इन दिनों की यदि बात की जाए तो खेतों में गोभी की फसल लहलहा रही है।
गांव में ही पहुंचते हैं खरीददार
राझेड़ी गांव के किसानों के लिए बड़ी राहत यह है कि इनको अपनी फसल बेचने के लिए मंडी की दूरी तय नहीं करनी पड़ती। दिल्ली, चंडीगढ़ व देहरादून की मंडियों से खरीददार खेत में पहुंचते हैं। किसान को तो अपनी फसल तैयार करके रखनी है। उधारी का भी कोई झंझट नहीं है। खेत में ही किसान को उसकी फसल के दाम मिल रहे हैं। मतलब न मंडी तक ले जाने का किराया अदा करना पड़ रहा है और न ही कोई जोखिम है। ऐसा इसलिए है कि गांव में बड़े स्तर पर सब्जी की खेती हो रही है।
गोभी की कटाई के बाद शिमला मिर्च की रोपाई
करीब दो दशक पहले की यदि बात की जाए तो यह गांव ङ्क्षटडा उत्पादन में मशहूर था। यहां का ङ्क्षटडा दूर-दूर की मंडियों में बिकता रहा है। उसके बाद किसान शिमला मिर्च व गोभी की ओर बढ़ गए। ऐसे किसानों की संख्या कम नहीं है जो गेहूं, धान व गन्ना जैसी खेती को बिल्कुल भी तरजीह नहीं दे रहे हैं । ये फसलें उगाए तो कई-कई साल बीत गए हैं। इन दिनों गोभी की कटाई करने के बाद शिमला मिर्च की रोपाई कर दी जाएगी।
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मंडी से खरीदते हैं गेहूं व धान
राझेड़ी के प्रगतिशील किसान राम मेहता बताते हैं कि उनके पास 12 एकड़ जमीन है। सभी खेतों में गोभी व शिमला मिर्च उगाते हैं। खाने के लिए गेहूं व धान मंडी से खरीदकर लाते हैं। एक वर्ष सब्जियों की दो फसलें ले रहे हैं। अच्छा मुनाफा हो रहा है।
सब्जी उगाकर खुश किसान
किसान राजपाल बताते हैं कि अन्य फसलों की बजाय सब्जियों की फसलें उगाकर वह खुश हैं। हालांकि मेहनत व लागत दोनों अधिक लगती हैं, लेकिन मुनाफा अच्छा है। एक एकड़ में वह हर वर्ष सब्जी ही उगाते हैं। दूसरी फसल नहीं उगाते।
12 महीने रहता पैसा
किसान आज्ञा राम का कहना है कि गांव का हर किसान सब्जी उगाता है। जिनके पास अपनी जमीन नहीं है, उनको भी रोजगार मिला हुआ है। किसान की जेब में 12 महीने पैसे रहते हैं। सब्जियों की फसल ग्रामीणों को रास आ रही हैं।
70 फीसद रकबे में सब्जी
किसान मनोज कुमार बताते हैं कि सब्जी की फसल में आमदन की कोई सीमा नहीं है। यदि भाव अच्छा मिल गया तो किसान की बल्ले-बल्ले हो जाती है। चार साल का घाटा एक साल में ही पूरा हो जाता है। गांव के 70 प्रतिशत रकबे पर सब्जी की फसल होती है।
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