सत्य खबर, चण्डीगढ़
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि देश को तोड़ने वाली मुस्लिम लीग के साथ मिलकर आजादी से पहले सरकार बनाने वालों के राजनीतिक वंशज नौवीं कक्षा में इतिहास के पाठ्यक्रम से छेड़-छाड़ कर रहे हैं. हरियाणा के छात्रों को आज़ादी के आंदोलन का गलत इतिहास पढ़ा रहे हैं. यह स्वतंत्रता संग्राम का घोर अपमान है और लाखों करोड़ों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी को नकारने की भाजपाई साजिश है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी.
सुरजेवाला ने कहा कि 1916 का कांग्रेस और मुस्लिम लीग का जो समझौता हुआ था, उसमें कांग्रेस की ओर से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और मुस्लिम लीग की तरफ से मोहम्मद अली जिन्ना शामिल हुए थे. श्रीमती एनी बेसेंट की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका थी. देश में सांप्रदायिक सद्भाव और हिंदू मुस्लिम एकता के उद्देश्य से लोकमान्य ने जो समझौता किया था, उसे मुस्लिम लीग का तुष्टीकरण बताकर यह पुस्तक महान स्वतंत्रता सेनानी, लोकमान्य बात गंगाधर तिलक का घोर अपमान कर रही है.
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कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सुरजेवाला ने कहा कि बेहतर होता कि बच्चों को यह पढ़ाया जाता कि हिंदू महासभा का अध्यक्ष बनने के बाद 1937 में सावरकर ने अपने पहले भाषण में कहा कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं. यही बात जिन्ना ने भी बाद में कही. दो राष्ट्रों का यही सिद्धांत देश के विभाजन का कारण बना.
डॉ भीमराव अम्बेडकर ने भी लिखा है कि जिन्ना और सावरकर बाकी मामलों में कितने भी अलग हों, लेकिन ‘दो नेशन थ्योरी’ के मामले में उनके विचार आश्चर्यजनक रूप से एक जैसे हैं. दोनों नेता एक दूसरे के समुदायों के प्रति कटुतापूर्ण व्यवहार और प्रचार करके अंग्रेजों के हाथों में खेल रहे थे, पर भारत की अखंडता बनाये रखने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार प्रयासरत थी. आजादी के आंदोलन में जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और करोड़ों हिंदुस्तानी अंग्रेजों से लोहा ले रहे थे, तो अंग्रेज का पिट्ठू बन भितरघात करने वालों का साक्षी स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास है.
सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा और खट्टर सरकार लगातार जनता को असल मुद्दों से भटकाकर साम्प्रदायिक उन्माद व जातीय टकराव की ओर धकेल रहे हैं. लेकिन, इस बार इन्होंने हमारे मासूम बच्चों को निशाना बनाया है. ये हरियाणा प्रदेश और देश को नफरत और बंटवारे की तरफ धकेलने की एक और साजिश है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उनके आका अंग्रेजों के सामने नहीं झुकी, तो आज नफरत परोसने वाली भाजपा-जजपा की खट्टर सरकार के आगे कैसे झुकेगी.सुरजेवाला ने कहा कि नौंवीं कक्षा की इस किताब को बगैर देरी वापस लिया जाए. मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री प्रदेश के लोगों से आगे बढ़कर माफी मांगें और वादा करें कि भविष्य में छल-कपट से इतिहास बदलने का दुस्साहस कभी नहीं करेंगे. हरियाणा में पाठ्यक्रम बदलने का मामला- दरअसल हरियाणा सरकार ने प्रदेश में छठी से 10वीं तक का इतिहास का पाठ्यक्रम बदल दिया है.
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इस बदले हुए पाठ्यक्रम में अब गांधी के साथ बच्चे सावरकर की महानता के बारे में पढ़ेंगे. इसके अलावा इतिहास की नई पुस्तकों में 1857 के संघर्ष को गदर नहीं बल्कि आजादी की पहली लड़ाई बताया गया है. साथ ही 1857 के विद्रोह को मेरठ से नहीं बल्कि एक दिन पहले अंबाला शुरू हुआ पढ़ाया जायेगा. सीबीएसई की किताबों में 1857 की क्रांति की शुरआत मेरठ से बताया गया है जबकि हरियाणा के बच्चे इसे अंबाला से पढ़ेंगे.
सुरजेवाला ने कहा कि अपनी सच्चाई को झुठलाने के लिए पूरे इतिहास को ही गलत बताना भाजपा-आरएसएस का एजेंडा रहा है. अब नौंवी कक्षा की पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को दरकिनार कर व मनगढ़ंत बातें लिखकर करोड़ों स्वतंत्रता सेनानियों सहित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का अपमान किया गया है. इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को प्रदेश व देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए.
सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर मुस्लिम लीग के साथ मिलकर तुष्टिकरण का झूठा व षडयंत्रकारी आरोप लगाने वाली खट्टर सरकार इतिहास के पन्नों पर अंकित सटीक तथ्यों का देश व प्रदेश की जनता को जवाब दे. वे बताएं कि भाजपाई विचारधारा के पितृ संगठन हिंदू महासभा ने तुष्टिकरण करने वाली मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सिंध व बंगाल में सरकार क्यों बनाई थी?
क्या श्यामा प्रसाद मुखर्जी व हिंदू महासभा साल 1941 में मुस्लिम लीग के साथ बंगाल में सरकार बना कर मंत्री नहीं बने? बंगाल की उस मुस्लिम लीग-हिंदू महासभा सरकार के मुखिया फजलुल हक थे जो ‘पाकिस्तान रिज़ॉल्यूशन’ यानि पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव लेकर आए थे.सुरजेवाला यहीं नहीं रुके उन्होंने पूछा कि 3 मार्च, 1943 को सिंध विधानसभा ने भारत से अलग होकर पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पास किया और उस वक्त भी व उसके बाद भी हिंदू महासभा के लोग सरकार में मंत्री क्यों बने रहे? 1942 में जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया, तो मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा ने अंग्रेजों का साथ क्यों दिया?
ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए सुरजेवाला ने बताया कि वर्ष 1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया था. हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए असहयोग और खिलाफत आंदोलन एक साथ चलाए गए थे. नए पाठ्यक्रम की पुस्तक में भारत की आजादी के सबसे बड़े आंदोलन असहयोग आंदोलन का नाम ना लिख कर सिर्फ खिलाफत आंदोलन का नाम लिखा गया है जो महात्मा गांधी सहित लाखों स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है.
उन्होंने कहा कि असहयोग और खिलाफत आंदोलन ने पूरे विश्व में हिंदू-मुस्लिम एकता और राष्ट्रीय एकजुटता की अद्भुत मिसाल पेश की थी. इसे मुस्लिम लीग का तुष्टीकरण कहना देशद्रोह के समान है. इन तथ्यों को जानबूझकर छात्रों से इस पुस्तक में छिपाकर उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.
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