सत्य खबर, पानीपत
समालखा से बीजेपी के नगर पालिका के चेयरमैन पद के प्रत्याशी अशोक कुच्छल का मुसीबतें पीछा नहीं छोड़ रही हैं। कभी कोई तो कभी कोई उन्हें कहीं ना कहीं उलझाए रहता है। वहीं अब वह चुनाव आयोग के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर द्वारा उजागर किए गए कुच्छल के आपराधिक रिकॉर्ड पर लगातार पत्राचार किया जा रहा है.
हाल ही में पीपी कपूर ने चुनाव आयोग और एसडीएम को पत्र लिखकर कुच्छल के नामांकन पत्रों में आपराधिक रिकॉर्ड छिपाने की जानकारी दी थी, जिसके बाद कुच्छल से जवाब तलब किया गया था. कुच्छल ने अब अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि उनके खिलाफ रंगदारी और फिरौती के अपराध में आपराधिक मामला दर्ज है, लेकिन जल्दबाजी में नामांकन फॉर्म भरते समय उसका उल्लेख करना भूल गए. एसडीएम और रिटर्निंग ऑफिसर अश्विनी मलिक ने कुच्छल का जवाब मिलने के बाद अपनी टिप्पणी के साथ रिपोर्ट जिला चुनाव अधिकारी और डीसी सुशील और राज्य चुनाव आयोग को कार्रवाई के लिए भेज दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार, आपराधिक मामले में दो साल से अधिक की सजा पाने वाले व्यक्ति को सजा मिलने की तारीख से छह साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाता है, जैसा कि मामला है. अशोक कुच्छल के खिलाफ कोर्ट में केस विचाराधीन है. हालांकि अभी तक कोई सजा नहीं हुई है. इसलिए यह मामला कुच्छल द्वारा झूठे हलफनामे देने तक सीमित है और नियमानुसार रिटर्निंग अधिकारी द्वारा नामांकन पत्रों की समीक्षा के बाद ही चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है.
वहीं, शिकायतकर्ता और आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने कहा कि वे जल्द ही हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर करेंगे और अशोक कुच्छल को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की अपील करेंगे. कपूर ने आरोप लगाया कि रिटर्निंग ऑफिसर और एसडीएम ने सरकार के दबाव में यह भ्रामक रिपोर्ट दी. ये चुनाव हरियाणा पालिका चुनाव नियम, 1978 के तहत हो रहे हैं, जबकि विधायक/सांसद का चुनाव जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत होता है.
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