सत्य खबर
कोरोना काल में रेलवे की स्पेशल ट्रेनों की संख्या भले बढ़ती जा रही है, लेकिन अब भी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) में टिकट बुकिंग का आंकड़ा पिछले साल की तुलना में रोजाना ढाई लाख कम है। वित्त वर्ष 2020-21 में मार्च तक यात्री ट्रेनें न चलने के कारण रेलवे को करीब 38 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। इस नुकसान की भरपाई के लिए माल ढुलाई और रेल किराये में कितनी बढ़ोतरी की जानी है, इस पर विचार विमर्श शुरू हो गया है।
38 हजार करोड़ रुपये का नुकसान का अनुमान, भरपाई के लिए बढ़ सकता है किराया
इस घाटे से अंबाला रेल मंडल भी अछूता नहीं रहा है। मंडल में जहां पिछले वित्त वर्ष में आमदनी 459 करोड़ थी, वहीं चालू वित्त वर्ष में गिरकर महज 23 करोड़ हो गया है। कोरोना काल में रेल संचालन बंद होने के कारण सबसे अधिक असर रेलवे पर ही पड़ा है।
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पिछले साल रेलवे की आमदनी जहां 53 हजार करोड़ रुपये थे, जबकि यह आंकड़ा इस बार 46 सौ करोड़ रुपये ही बताया जा रहा है। मार्च 2021 तक इसके 15 हजार करोड़ रुपये पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में रेलवे को चालू वित्त वर्ष में करीब 38 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
हालांकि पटरी पर लाई गईं स्पेशल ट्रेनों में 30 फीस किराये की बढ़ोतरी की गई है, लेकिन रेल परिचालन महज 20 फीसद होने के कारण घाटा पूरा नहीं हो पाया है। हालांकि कोरोना काल में रेलवे ने माल ढुलाई के कई रिकॉर्ड कायम कर घाटे की भरपाई तो की है, लेकिन अभी लक्ष्य से काफी दूर है। यही कारण है कि अब सामान्य रेल संचालन होने पर किराया बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
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