सत्य खबर,चंडीगढ़
2014 में रोहतक से खरखौदा जा रही रोडवेज की बस में कथित छेड़छाड़ व मारपीट के आरोप में दो बहनों द्वारा लड़कों की पिटाई का मामला सामने आया था।
इस मामले में गुरुवार को एडीजे रितु वाईके बहल की अदालत ने अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने दोनों बहनों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बरी हुए तीन युवकों मोहित, दीपक व कुलदीप को समाज में परेशानी हुई, लेकिन दोनों बहनों को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। ऐसे में दोनों बहनों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की याचिका खारिज की जाती है।
इस केस में तीन आरोपी युवकों को अदालत 2017 में बरी कर चुकी है। दूसरा, अब तक किसी अन्य अदालत ने यह नहीं कहा कि, दोनों बहनों ने झूठी गवाही दी। केवल पुलिस द्वारा दाखिल चालान रिपोर्ट व साक्ष्यों के आधार पर तीनों युवकों को बरी किया गया था। तीसरा, आरोपी युवकों के बरी होने के करीब चार साल बाद दोनों बहनों के खिलाफ कार्रवाई का कोई औचित्य नहीं बनता है। इसके अलावा मामले में एक लड़की ने कोर्ट में पूरे मामले के बढ़ने पर खेद भी व्यक्त किया।
अदालत ने मार्च 2017 में सबूतों के अभाव में तीनों युवकों को बरी कर दिया। इसी बीच दिसंबर 2019 में डॉक्टर सुभाष ने अदालत में याचिका दायर करके दोनों बहनों के खिलाफ झूठे मामले में युवकों को फंसाने पर आपराधिक केस चलाने की मांग की लेकिन निचली अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके खिलाफ उसने एडीजे कोर्ट में अपील की। अब एडीजे कोट में भी उसकी याचिका खारिज हो गई।
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