सत्यखबर,सम्पादकीय
हरियाणे के बारे में इन दिनों दो लालों की देश ही नहीं विदेश में चर्चा है । यदि सर्च की बात की जाये तो इस समय ये प्रधानमंत्री से भी ज्यादा सर्च किये जा रहे होंगे । इनका अतीत खंगाला जा रहा होगा और हर कोई इनका परिचय जानने को उत्सुक होगा । आप भी हो गये न ? बात ही ऐसी है जनाब ।
कभी मंचों पर कवि सम्मेलनों में यह बात आम कहीं जाती थी कि हम हरियाणे आले न जागने देते न सोने देते । रात भर तक मल्लिका सहरावत के ठुमके आपको जगाये रखते हैं और सुबह होते ही बाबा रामदेव अपना कपाल भारती कार्यक्रम लेकर हाज़िर हो जाते हैं । यह भी एक ज़माना था । वह भी एक दौर था । आज मल्लिका सहरावत तो पृष्ठभूमि में चली गयी लेकिन अब हरियाणे के दो लाल इसका परचम लहरा रहे हैं और लीजिए आपकी उत्सुकता शांत किये देते हैं । वे लाल हैं -बाबा रामदेव और सुशील कुमार।
बाबा रामदेव इन दिनों एलोपैथी को मूर्खतापूर्ण विज्ञान कह कर फंसे हुए हैं और आईएमए इनके पीछे पड़ी हुई है कि या तो माफी मांगो या फिर एफआईआर के लिए तैयार रहो । बाबा हैं कि एक बार तो माफी का वीडियो जारी कर दिया लेकिन फिर वे ठहरे भारत के स्वाभिमान। बस एक और वीडियो में सुना कि वे कह रहे हैं कि मुझे कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता । किसी में ऐसी हिम्मत नहीं । वक्त वक्त की बात है । यही बाबा जी थे और गिरफ्तारी से डर कर सलवार पहन कर भागने लगे थे और आज तक इस फजीहत से पीछा न छूट पाया । फिर अब तो भई अपनी सरकार है तो फिर काहे का गम ? किससे डर ?
यदि एलोपैथी इतनी ही बुरी थी तो फिर अपने सहयोगी का इलाज पतंजलि आश्रम में अपनी देखरेख में क्यों न कर लिया ? क्यों एलोपैथी डाॅक्टर्ज के पास ले गये ? हर पैथी की अपने लाभ और हानियां हैं । फिर किसी एक पैथी के पीछे क्यों हाथ धोकर पड़ गये बाबा जी ? लोग यह भी कह रहे हैं कि ऐसी बहस चला कर बड़ी चालाकी से कोरोना के टीके की कमी से ध्यान हटाने की कोशिश कर प्रधानमंत्री की मदद की जा रही है है । हो सकता है यह दूर की कौड़ी हो पर कुछ मदद तो मिल ही रही है। अब कोरोना के टीके को तो जाबडेकर टूल किट की शरारत बता रहे हैं ।
खैर , हमारे हरियाणे के दूसरे लाल की बात भी करते चलें । ये हैं ओलम्पिक पहलवान सुशील कुमार जिन पर अपने ही शिष्य सागर की हत्या में संलिप्त सोने का आरोप लगा है । एक वीडियो पुलिस ने जारी किया है जिसमें खुद सुशील कुमार हाथ में डंडा लिए एक्शन में दिखाई दे रहे हैं और सागर हाथ जोड़े अपनी जान बख्शने की गुहार लगा रहे है। फिर सुशील कुमार तीन हफ्ते तक फरार रहते हैं और पकड़े जाने पर बड़ी मासूम सी वजह बताते हैं कि मैं तो समझौता करवाने गया था । समझौता करवाने वाला हाथ में डंडा लेकर क्या कर रहा था ? यह तो बताओ भाई पहलवान? क्यों देश और अपने हरियाणे का नाम माटी में मिलाये हो ? गुरु सतपाल का नाम क्यों डुबोये हो भाई मेरे ? चलो जब आपके पास सब कुछ था -शान , शौकत और शोहरत फिर गैगस्टर्ज के साथ क्या कर रहे थे ? जो हाथ दांव पेंच से दूसरे को चित्त करते थे , उन हाथों में पिस्तौल कैसे आ गयी और किसलिए ? क्या कभी रह गयी थी ? देश ने क्या नहीं दिया था ? पैसा , नौकरी और विज्ञापन का चेहरा व युवाओं के आइकाॅन बन चुके थे । फिर यह किस राह चल पड़े थे ? अब अपील की जा रही है कि सुशील कुमार के खिलाफ मीडिया ट्रायल पर रोक लगाई जाये । क्यों ? कोर्ट ने इंकार कर दिया यह कह कर कि किसी एक व्यक्ति की रिपोर्ट नहीं रोकी जा सकती। सागर के मामा आनंद सिंह ने बहुत सही बात कही कि जब ओलम्पिक मेडल जीते थे तब क्यों न मीडिया ट्रायल को रोका ? अब क्यों रोक रहे हो ? जब हीरो थे देश के तब भी और अब विलेन बन गये हो तब भी मीडिया तो आपके बारे में सब बतायेगा । जब देश का गौरव और प्रदेश का अभिमान बने थे तब भी यही मीडिया जय जयकार कर रहा था और जब किसी घिनौने कांड में हाथ होने की आशंका है तब भी मीडिया अपना काम करेगा ही । ऐसा काम ही क्यों किया कि हीरो से विलेन बन गये ? तो मित्रो इन दिनों हमारे हरियाणे की जय जय तो है पर नाम माटी में मिलाये है इसके लाल ,,,,
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