सत्य खबर, दिल्ली
देश में मुस्लिम महिला कानून 19 सितंबर 2018 से ही लागू है जिसमें तीन तलाक को अपराध माना गया है। लेकिन, राजधानी में तीन तलाक पीड़िता को पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के लिए अदालत की शरण लेनी पड़ रही है। पीड़िता का आरोप है कि शादी के 23 साल बाद पति ने उन्हें इसलिए तीन तलाक दे दिया क्योंकि उन्हें कोई बेटा नहीं हुआ। पीड़िता अपनी 20 व 18 साल की दो बेटियों के साथ सुखदेव विहार में रहती हैं। उन्होंने 13 जुलाई को ही न्यू फ्रेंड्स कालोनी थाने में शिकायत दी थी, लेकिन मामला दर्ज नहीं किया गया। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में उनकी याचिका खारिज कर दी गई। अब पीड़िता ने अब सत्र न्यायालय में अपील की है। आरोपित एक बड़े संस्थान में चेयरमैन है।
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बेटी होने पर तीन बार कराया गर्भपात
अपनी शिकायत में पीड़िता ने बताया कि उनकी शादी 23 वर्ष पूर्व हुई थी। पति व सास दहेज में दिल्ली में एक प्लाट देने की मांग को लेकर पिटाई करने लगे। पीड़िता ने वर्ष- 1998 और 1999 में गर्भधारण किया लेकिन पति ने जबरदस्ती भ्रूण जांच कराई और गर्भ में बेटी होने पर दोनों बार गर्भपात करवा दिया। 2000 में फिर भ्रूण जांच करवाया तो लड़की का पता चला। इस पर उसने पीड़िता को पीटकर घर से निकाल दिया। पीड़िता ने अपने मायके में आकर बेटी को जन्म दिया। इसके बाद पति उन्हें और पीटने लगा। इसके बाद एक बार और पति ने भ्रूण जांच के बाद गर्भपात करवा दिया। वर्ष- 2002 में पीड़िता ने एक और बेटी को जन्म दिया। वर्ष- 2004 में पति की पिटाई से पीड़िता की पेल्विस बोन टूट गई जिससे वह करीब छह माह बिस्तर पर ही रहीं।
शिकायत वापस लेने के लिए दी जा रही धमकी
पति व सास यह कहकर ताने मारते थे कि एक बेटा तक न दे सकी। हमारा वंश कैसे चलेगा। पति दूसरी शादी के लिए लड़कियां देखने लगा। दबाव में लेने के लिए आरेापित अपने दोस्त के साथ घर में शराब पीने लगा और उसका दोस्त बेटियों से अश्लील हरकतें करता था। विरोध करने पर वह बेटियों को भी पीटता था। आठ जून 2020 को आरोपित ने तीनों की जमकर पिटाई की। उसने तीन बार तलाक बोला और कहा कि आज से वह पीड़िता से संबंध खत्म करता है। इसके बाद वह बड़ी बेटी को जबरदस्ती अपने साथ कालकाजी स्थित एक होटल में ले गया और वहां करीब एक सप्ताह उसे रखा। एक दिन उसे चकमा देकर बड़ी बेटी वहां से भाग निकली। इसके बाद उसने फोन कर मां-बेटियों को गाली दी और धमकी दी। उसके बाद से पति घर नहीं लौटा। 13 जुलाई 20 को पीड़िता ने एनएफसी थाने में पति के खिलाफ तीन तलाक देने की शिकायत की। उसने 26 सितंबर को अपने भांजे को पीड़िता के घर भेजा। भांजे ने मां-बेटियों से कहा कि शिकायत वापस नहीं लिया तो चेहरे पर तेजाब डाल देगा। पीड़िता ने इसकी एफआइआर दर्ज करवाई है। पीड़िता को अब भी धमकी मिल रही है।
ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दिशानिर्देश दिए हैं कि संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस को अविलंब एफआइआर दर्ज करनी चाहिए। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून- 19 के तहत तीन तलाक संज्ञेय अपराध है। पीड़ित महिला ने शिकायत की है तो पुलिस को एफआइआर दर्ज करनी चाहिए थी। केस दर्ज न किए जाने से पीड़िता को न्याय मिलने में देरी तो होगी ही, तीन तलाक से पीड़ित अन्य महिलाएं भी हतोत्साहित होंगी। कानून बनने के बावजूद पीड़ित न्याय से वंचित रह जाएंगी।
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