सत्यखबर, हरियाणा
मौसम विभाग के मुताबिक हल्की बरसात के बाद ही हरियाणा व उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में सर्दी बढ़ेगी। अभी तक प्रदूषण के स्तर बढ़ने के कारण सर्दी का ज्यादा अहसास नहीं हो पाया है। पिछले 24 घंटों के दौरान राजस्थान के जयपुर अजमेर तथा उत्तर प्रदेश में अलीगढ़, बरेली, हरदोई, लखनऊ, कानपुर, उरई, झांसी तथा वाराणसी में हल्की बरसात की गतिविधियां देखी गई है। एक हल्का पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर के आसपास था। सागर पर बने निम्न दबाव के क्षेत्र से एक निम्न दबाव की रेखा दक्षिण पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक आ रही थी। उत्तर पश्चिम दिशा से शुष्क हवाएं दक्षिण पूर्व से आने वाली नम हवाओं से मिल रही थी। उन सभी के मिले-जुले आपसे यह बरासत की गतिविधियां हुई है। हरियाणा के दक्षिणी जिलों सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी आने वाले 48 घंटे के अंदर बूंदाबांदी देखने को मिल सकती है।
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24 अक्टूबर के बाद पहाड़ी राज्यों में एक भी सशक्त पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया है जिसके प्रभाव से भारी हिमपात भी नहीं हुआ है। अगले एक सप्ताह के दौरान हमें उम्मीद नहीं है कि कोई अच्छा पश्चिमी विक्षोभ आए जो तेज हिमपात दे सके इसीलिए उत्तर भारत के तापमान में धीरे-धीरे ही गिरावट होगी। मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर पश्चिम दिशा चलने वाली हवाओं की गति में भी वृद्धि होगी। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तरी राजस्थान में न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज होनी शुरू हो जाएगी। इस समय दिल्ली में न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री ऊपर है परंतु अगले 3 या 4 दिनों में यह सामान्य से नीचे हो सकता है। हरियाणा और उत्तरी राजस्थान के 1-2 जिलों में उदाहरण के लिए हिसार, चुरू, पिलानी, सीकर तथा नारनौल आदि में शीतलहर भी चल सकती है।दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और उत्तरी तमिलनाडु के हिस्सों पर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। अगले 24 घंटों में यह नगण्य हो जाएगा। संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण औसत समुद्र तल से 5.8 किमी तक फैला हुआ है। पूर्व मध्य अरब सागर के ऊपर एक गहरा निम्न दबाव का क्षेत्र समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण के साथ है। इसके आज शाम तक उसी क्षेत्र में डिप्रेशन में बदल जाने की उम्मीद है। एक टर्फ रेखा पूर्वी मध्य अरब सागर के ऊपर कम दबाव वाले क्षेत्र से जुड़े चक्रवाती परिसंचरण से उत्तरी महाराष्ट्र होते हुए मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों तक फैली हुई है। एक अन्य टर्फ रेखा दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और इससे सटे उत्तरी तमिलनाडु पर कम दबाव के क्षेत्र से जुड़े चक्रवाती परिसंचरण से लेकर तटीय आंध्र प्रदेश तक ओडिशा तक फैली हुई है।
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