सत्यखबर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने पर संयुक्त खाप ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। खाप पदाधिकारियों का कहना है कि कानून वापस लेना किसानों की आधी लड़ाई है। किसान आंदोलन देश का सबसे बड़ा आंदोलन है। यह ऐसा आंदोलन नहीं है कि बिना किसी कारण शुरू हुआ और ऐसे ही खत्म हो जाएगा। किसानों की जो पुरानी समस्याएं हैं, उनको भी अब पटल पर रखा जाएगा।
राखी बारह खाप के प्रधान राजकुमार राखी, रोघी खाप के प्रधान सुमेर डाटा, सतरोल खाप के प्रधान रामनिवास लोहान व पंचग्रामी खाप के पूर्व प्रधान रघबीर कापड़ो के अनुसार, जब देश में इन तीन कानूनों को लागू नहीं किया गया था, तब भी किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन किए हैं। किसान काफी समय से कर्ज में डूबे हुए हैं। अब तक कि सरकारों ने एमएसपी लागू करने का दावा करके उनका फायदा उठाया है।
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लेकिन अब किसान राजनीतिक लोगों की बातों में आने वाले नहीं है। उन्होंने अपने हक लेना सीख लिया है। एमएसपी लागू करवाना और आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों की आर्थिक मदद करना, उनकी असली लड़ाई है। जब तक यह मांगें पूरी नहीं हो जाती और कानूनी वापसी को कानूनी अमलीजामा नहीं पहनाया जाता, वे अपने मोर्चों पर डटे रहेंगे। कानून वापसी की घोषणा से किसान की ऐतिहासिक जीत हुई है, लेकिन यह लड़ाई पूरी उस दिन मानी जाएगी, जब संसद में बिल वापसी होगी और एमएसपी पर कानून बनाया जाएगा।
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