सत्य खबर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :2011 Sahara Mall assault case: Court acquits all 18 accused.
गुरुग्राम की एक अदालत ने वर्ष 2011 में एमजी रोड पर स्थित सहारा मॉल में हुए मारपीट मामले में पुलिस द्वारा बनाए गए सभी आरोपीयो को बरी कर दिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 में साइबर सिटी के एमजी रोड स्थित सहारा मॉल की तीसरी मंजिल पर स्थित इग्नाइट क्लब में नजदीकी गांव चक्करपुर निवासियों ने अपनी दबंगई दिखाते हुए जबरदस्ती क्लब में घुसकर कस्टमरों के साथ बदतमीजी छेड़छाड़ करने पर बाउंसर और दबंगों में जमकर मारपीट हुई थी। जिसमें चकरपुर निवासियों ने गोलिया भी चलाई थी। वही ऊंची राजनीतिक पहुंच के कारण पुलिस से साजबाज होकर क्लब के मालिकों सहित डेढ़ दर्जन बाउंसरो पर मारपीट सहित अन्य संगीन धाराओं के तहत मुकदमा भी दर्ज करा दिया था। तथा सहारा मॉल के करीब आधा दर्जन क्लब बार और रेस्टोरेंटो पर ताला जड़ बन्द कराने के लिए करीब 1 महीने तक धरना प्रदर्शन किया था। साइबर सिटी में उस समय यह मामला काफी हाईप्रोफाइल बन गया था जिसमें आसपास के गांव के करीब 500 लोगों ने एमजी रोड को काफी दिनों तक जाम रखा।
जिसमें मुख्य रुप से गांव चकरपुर के अनिल यादव, सतवीर यादव, सुबे सिंह बोहरा, मुकेश पहलवान, सतीश यादव, सुधीर यादव, संदीप यादव, मनोज यादव, रणवीर सिंह, महेश यादव,योगी,राजकरण, नरेन्द्र, मुकुल, सुखबीर सहित सैकड़ों क्षेत्रवासी विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे थे। जब करीब 1 महीना बीत जाने के बाद भी विरोध करने वाले लोगों ने क्लब को नहीं खोलने दिया तो बार संचालकों ने कोर्ट का सहारा लिया था। जिसमें 12 संचालकों ने बार बंद होने से हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की तब अदालत से नोटिस आते ही सभी धरना प्रदर्शन करने वाले तितर-बितर हो गए थे। जिसमें थाना प्रबंधक सहित पुलिस कमिश्नर को भी पार्टी बनाया गया था।
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जिन्होंने अपने जवाब में अदालत को बताया था कि प्रशासन की वजह से बार संचालक का नुकसान नहीं हो रहा है बल्कि धरना प्रदर्शन करने वालों की ही वजह से उनका आर्थिक नुकसान हो रहा है। और उनके रेस्टोरेंट पर भी उन्होंने ही ताला जड़ा है। पुलिस तो केवल वहां पर कानून व्यवस्था बनाने के लिए ही गई थी। तभी से ही यह मामला अदालत में चल रहा था। जिसमें पुलिस ने मिलीभगत और अपनी दादागिरी से करीब अट्ठारह लोगों को आरोपी बना कर अदालत में पेश किया था। जिसका मामला माननीय उच्च न्यायालय में भी गया था क्योंकि कांग्रेश की पूर्व विधायक अनीता यादव चकरपुर के ग्रामीणों की रिश्तेदार थी और उन्हीं के कहने पर पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में संगीन धारा 307 बाद में लगाई थी। जिसको बाद में उच्च न्यायालय ने हटा दिया था।
जबकि इस लड़ाई झगड़े की शिकायत बार संचालकों के द्वारा भी पुलिस में उच्च अधिकारी सहित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी दी गई थी । मगर पुलिस ने क्रॉस केस ना बनाकर केवल एक तरफा ही केस बनाया था, वही सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में भी छेड़छाड़ कर कोर्ट में प्रस्तुत की थी। अदालत की 12 साल तक चली लंबी प्रक्रिया में जहां शिकायतकर्ता ने अपनी गवही दी, वहीं डिफेंस के वकीलों ने भी अपनी गवाही करा अदालत के समक्ष अपने सबूत पेश किए। जिस पर अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने व पेश सभी सबूतों पर गौर करने के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
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