साहित्य समाज का दर्पण है – कमलेश शास्त्री
सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – आर्य समाज सफीदों के धर्माचार्य कमलेश शास्त्री ने कहा कि जहां साहित्य है वह समाज प्रशस्त व उन्नतशील रहता है और अपने मूल्यों को संजोए हुए आगे बढ़ता रहता है। साहित्य ही समाज का दर्पण है। कमलेश शास्त्री नगर के पायनियर सीनियर सैकेंडरी स्कूल के चेयरमैन नरेश ङ्क्षसह बराड़ को महर्षि दयानंद के साहित्य भेंट करने के बाद विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा जिस समाज में साहित्य है उस समाज का प्रत्येक घटक अविद्या, अंधकार, बुराइयों और अमानवीय कुरीतियों से बचा रहता है। जहां शारीरिक उन्नति के लिए भोजन, पानी व हवा की आवश्यकता होती है वहीं समाज की उन्नति के लिए अच्छे साहित्य की आवश्यता होती है।
उससे व्यक्ति का मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक उन्नति का निर्माण होता है और वह प्रबुद्ध समाज को आगे ले जाता है। जैसे खेत की गुड़ाई निराई कर खरपतवार को हटाकर बगीचे को संस्कार दिया जाता है, उसी प्रकार विद्वान लोग अपने सद्विचारों और सद्साहित्य से राष्ट्र को आगे ले जाते हैं। महापुरुषों ने कहा है कि मनुष्य को दस काम छोड़ कर भोजन करना चाहिए, सौ काम छोडक़र पीना और हजार कामों को छोडक़र अच्छे ग्रंथों का स्वाध्याय करना चाहिए। बच्चें राष्ट्र और समाज के आधार स्तंभ होते हैं।