हरियाणा

किसानों को गुलाम बनाना चाहती है भाजपा सरकार: अनुराग ढांडा

रोहतक :

 

आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने रोहतक में चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि 21 वर्षीय युवा किसान की एक ऐसे आंदोलन में मौत हुई है जहां नहीं होनी चाहिए थी, क्योंकि उसका आगे बहुत भविष्य था। ये बेहद चिंताजनक कि उस युवा को पीछे से गोली मारी गई, हम सबको यह अहसास होना चाहिए कि हम किस तरफ जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस भूमिका में किसान आंदोलन पहुंच गया है उसमें एक तरफ जवानों तो दूसरी तरफ किसानों की जान जा रही है। जबकि किसान और जवान दोनों भाई भाई हैं। लेकिन सरकारों ने एक भाई के हाथ में दूसरे भाई पर चलाने के लिए बंदूक दे दी और वर्दी में खड़े जवानों को नौकरी करने के लिए मजबूरी में ऐसे काम करने पड़ रहे हैं जिसकी इजाजत उनका जमीर भी नहीं देता।

 

उन्होंने कहा कि जब पिछली बार आंदोलन चल रहा था तो मैं पत्रकारिता कर रहा था। तब हमको कहा जाता था कि किसानों को आतंकवादी बोलना है, तब मैंने पत्रकारिता ही छोड़ दी क्योंकि हमारे तो बाप दादा ही किसान हैं। उन्होंने कहा कि किसानों ने एक साल संघर्ष करके अपनी जमीनें बचा ली, मैं उस आंदोलन को कामयाब मानता हूं जिसने सरकार को झुकने को मजबूर कर दिया और उस आंदोलन में हरियाणा की बहुत बड़ी हिस्सेदारी थी। उन्होंने कहा कि आजाद हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार ऐसी तानाशाह सरकार आई है, जो किसी को कुछ नहीं समझती। कोई वर्ग आंदोलन करने चला जाए उन पर लाठियां और गोलियां चलती हैं। ऐसी तानाशाह सरकार सिर्फ किसान आंदोलन के सामने घुटने टेकने पड़े। इसलिए इससे बड़ी जीत कोई नहीं हो सकती।

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उन्होंने कहा कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक किसान किसान होता है। जो जमीन के अंदर से अनाज पैदा करने की हिम्मत रखता है वही किसान है, उसकी कोई जात पात नहीं होती। यदि कोई किसानों को बांटने की कोशिश करे तो वो भाजपा का एजेंट हो सकता है किसी भी हालत में किसान नहीं हो सकता। चौधरी छोटूराम किसानों से कहते थे कि अपने दुश्मन को पहचानो। जिस दिन दुश्मन पहचान लोगे उस दिन लड़ाई आसान हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि C2+50 के हिसाब से रेट तय हो तो आज के दिन में 3150 रुपए बनते हैं और मिलते 2100 हैं, सरकार जो प्रति क्विंटल 1000 रुपए मिलने चाहिए सरकार वो नहीं देना चाहती। उन्होंने कहा कि किसानों को आंदोलन में शामिल न होने के लिए 100 कारण बताए जाएंगे लेकिन ये नहीं बताएंगे कि किसान के हक के 1000 रुपए किसकी जेब में जा रहे हैं।

 

उन्होंने कहा कि भाजपा ने राजस्थान में अपने मैनिफेस्टो में लिखकर दिया कि यदि राजस्थान में भाजपा की सरकार आई तो राजस्थान के किसान की 2700 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदेंगे। लेकिन जहां सरकार है वहां 2700 रुपए में गेहूं क्यों नहीं खरीदते। इसका मतलब भाजपा सरकार की नियत नहीं है देने की। उन्होंने कहा कि आंदोलन से ही लंबी लड़ाई लड़ी जाती है। राउंड एक में किसान जीते थे जब तीनों काले कृषि कानून वापस कराए थे, ये राउंड दूसरा शुरु हो गया है। आज किसान हर किसान की मांग को लेकर निकल चुके हैं, अब उसको मजबूत करना है।

 

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उन्होंने कहा सीएम खट्टर कहते हैं कि किसान ट्रैक्टर पर क्यों जा रहे हैं, लेकिन सीएम खट्टर खुद 50-50 गाड़ियों के काफिले में क्यों चलते हैं। संविधान हमें कहीं भी धरना प्रदर्शन करने की आजादी देता है। किसान रामलीला मैदान में धरना देना चाहते थे, लेकिन इन्होंने किसानों को रामलीला मैदान में धरना देने की अनुमति नहीं दी। इसके अलावा संविधान हमें देश में कहीं भी जाने की इजाजत देता है। लेकिन सरकार ने किसानों को बैरिकिड्स लगाकर रोक रखा है। इसका मतलब सरकार हमें दोबारा से गुलाम बनाने की तरफ ले जा रहे हैं। अंग्रेजो के समय में भी ऐसा ही होता था।

 

उन्होंने कहा कि जब से देश आजाद हुआ है तब से किसान आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन आज उसमें एक फर्क आ गया है। पहले किसान सत्ता की दहलीज पर जाकर आंदोलन करता था और आज सरकार हमारे दरवाजे पर पहुंच गई है। आज यहीं हमारा दमन कर रहे हैं और यहीं रोकने की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले दिनों में किसानों के घर में ही घुस जाएंगे। अब हमें किसी एक दिन तो संघर्ष करना पड़ेगा, यदि शांतिपूर्ण तरीके से वो संघर्ष आज करोगे तो आने वाली पीढ़ियां गुलाम नहीं होंगी।

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