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क्या आप जानते हैं बिना शपथ लिए संसद पहुंचने वाले सांसद पर होती है कार्रवाही,जानिए यहां पर

सत्य खबर,नई दिल्ली ।

नरेन्द्र मोदी रविवार शाम को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों को भी पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी. संविधान के अनुच्छेद 99 में सांसदों द्वारा शपथ लेना अनिवार्य बताया है. लेकिन क्या होगा अगर कोई सांसद बिना शपथ लिए सदन में बैठता है या मत देता है? आइए जानते हैं.

अनुच्छेद 99 के मुताबिक, संसद के लोकसभा सदन में अपना स्थान ग्रहण करने से पहले हर सदस्य को राष्ट्रपति या उनकी ओर से इस काम के लिए नियुक्त किए गए व्यक्ति के सामने शपथ लेनी पड़ती है. इस शपथ का प्रारूप संविधान की तीसरी अनुसूची में दिया हुआ है.

बिना शपथ सदन में बैठ तो क्या होगा?

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संविधान में स्पष्ट है कि सदन के हर सदस्य को शपथ लेना जरूरी है. लेकिन अगर कोई बिना शपथ लिए सदन में बैठा है, तो उस स्थिति में संविधान के अनुच्छेद 104के तहत आगे की कार्रवाई होगी. अनुच्छेद 104के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति अनुच्छेद 99 की आवश्यकताओं (शपथ लेने) का अनुपालन करने से पहले, या जानते हुए कि वह योग्य नहीं है या वह सदस्यता के लिए अयोग्य है या उसे विधि द्वारा ऐसा करने से प्रतिबंधित किया गया है, सदस्य के रूप में बैठता है तो उसे 500 रुपए का जुर्माना देना होगा. जिस दिन वो इस तरह अयोग्य होने पर भी सदन में बैठेगा, उसे संघ को 500 रुपए का जुर्माना देना होगा.

जो सदस्य बिना शपथ लिए सदन में बैठे उन्हें सदन के किसी भी मामले में वोट देने का अधिकार भी नहीं होता है. अनुच्छेद के मुताबिक, हर एक दिन जब वो वोट मत देता है तो उसे प्रत्येक दिन के हिसाब से 500 रुपए का जुर्माना देना होगा जो संघ के देय ऋण के रूप में वसूला जाएगा.

भले ही लोकसभा के सब सांसद जनता द्वारा चुनकर आते हैं, लेकिन उनको मिली जिम्मेदारियों के हिसाब से उनके शपथ में अंतर होता है. प्रधानमंत्री और संघ के मंत्रियों को दो शपथ लेनी होती है. एक पद के लिए और दूसरी गोपनीयता की. वहीं, संसद का सदस्य बनने पर केवल एक ही शपथ होती है.

मैं,अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा. मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा. मैं संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्त्वयों को श्रद्धापवर्कू और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोग के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा .

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मैं,अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि जो विषय संघ के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्त्वयों के सम्यक् निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा.

मैं,अमुक, जो लोक सभा का सदस्य निर्वाचित हुआ हूं ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा. मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा अथवा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं उसके कर्तव्यों को श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा.

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