अनशनकारी की तबियत बिगडऩे पर पुलिस जबरदस्ती उठाने आयी, ग्रामीणों के आने पर वापिस लौटे
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
धरौदी माइनर संघर्ष समिति के बैनर चल रहा 11 गांवों के ग्रामीणों का धरना 43वेें दिन में पहुंच गया, लेकिन ग्रामीणों का जोश ठंडा पड़ता नहीं जा रहा है। जिला उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया से कमेटी सदस्यों की बातचीत होने के बाद कोई हल न निकलने पर ग्रामीणों ने अब धरना तेज करने का फैसला ले लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार के कानों पर अभी तक जूं नहीं रेंगी है, जिससे लग रहा है कि सरकार किसानों को पानी नहीं देना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा स्पेशल गिरदावरी करवा दी गई है और यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि 11 गांवों में कौन-कौन सी फसल उगाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह मंशा है कि खेतों में पानी पहले की तरह पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग है कि धरौदी माइनर को भाखड़ा नहर से ही जोड़ा जाये, ताकि अंतिम टेल तक पानी पहुंच सके। उन्होंने कहा कि वे अब भाखड़ा नहर से पानी लेकर रहेंगे। चाहे उनको प्राण क्यों न त्यागने पड़े। उन्होंने कहा कि आमरण अनशन के जरिये सरकार को चेताना चाहते हैं कि वे संघर्ष में पीछे हटने वाले नहीं हैं।
अनशनकारी की तबीयत बिगडऩे पर प्रशासन के हाथ पांव फूले
आमरण अनशन पर बैठे 9 व्यक्तियोंं में से एक व्यक्ति गांव हमीरगढ़ वासी ज्ञानचंद शर्मा की हालत बिगड़ गई। वहीं कर्मगढ़ वासी सतबीर की हालत बिगड़ गई थी, लेकिन उसकी हालत में सुधार है। अनशनकारी की हालत बिगडऩे पर डॉक्टरों को बुलाया गया और उन्होनें बताया कि बीपी कम होने के कारण यह स्थिति हो गई है। अनशनकारी की हालत बिगडऩे की सूचना मिलते ही प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये। इसके बाद प्रशासन ने उसका अस्पताल में उपचार करने की ठानी। जब दोपहर बाद धरना से लोग चले गये और अनशनकारियों के साथ थोड़े लोग रह गये, तो पुलिस प्रशासन की 5-6 गाडिय़ां धरनास्थल पर आयी और अनशनकारी ज्ञानचंद शर्मा को अस्पताल ले जाने की बात चल रही थी। लेकिन ग्रामीणों को इस बात की भनक लग गई और गांव धरौदी के लोग मौके पर पहुंच गये। जिसके बाद लोगों को आता देख पुलिस प्रशासन ने वापिस जाना ही मुनासिब समझा।