Punjab में मानसून की विफलता की कगार पर, चार जिलों में 60 प्रतिशत से कम बारिश; किसानों की बढ़ी चिंता
Punjab में मानसून विफलता की कगार पर है। 1 जून से 7 अगस्त तक जारी आंकड़ों से साफ पता चलता है कि केवल तीन जिले ऐसे हैं जहां अच्छी बारिश हुई है। चार जिले ऐसे हैं जहां 60 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है। पंजाब में सबसे ज़्यादा 74 प्रतिशत कम बारिश फतेहगढ़ साहिब जिले में हुई है।
कम बारिश से फसलों को नुकसान
15 जिलों में करीब 50 प्रतिशत तक बारिश में कमी आई है, जिसका सीधा असर धान की फसल पर पड़ रहा है। बारिश न होने से धान की ऊंचाई फिर से कम हो रही है। पिछले साल जुलाई-अगस्त में बाढ़ के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ था और कई जगहों पर किसानों को धान दोबारा बोना पड़ा था, लेकिन इस साल बारिश न होने से धान के पौधे बौने रह रहे हैं। बारिश न होने से इनमें ज़िंक की कमी हो रही है।
किसानों को ज़िंक का छिड़काव करने की सलाह
पंजाब के कृषि विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ने बताया कि जिन खेतों में ऐसी समस्याएं आ रही हैं, वहां किसानों को ज़िंक का छिड़काव करने की सलाह दी गई है।
उन्होंने माना कि पर्याप्त बारिश न होने से आने वाले दिनों में समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसलिए कल हम इस संबंध में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ बैठक करने जा रहे हैं ताकि आने वाले दिनों में अगर बारिश नहीं हुई तो फसलों को हुए नुकसान के लिए पीएयू क्या सलाह जारी करेगा।
24 से 60 प्रतिशत तक कम हुई बारिश
गौरतलब है कि पंजाब में फतेहगढ़ साहिब जिले में 74 प्रतिशत, मोहाली जिले में 66 प्रतिशत, नवांशहर जिले में 64 प्रतिशत और बठिंडा जिले में 61 प्रतिशत कम बारिश हुई है। राज्य के कुल 23 जिलों में से 16 जिले ऐसे हैं जहां 24 से 60 प्रतिशत तक बारिश में कमी आई है। अगर पंजाब की औसत देखी जाए तो अब तक 42 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इसका सीधा असर भूजल के साथ-साथ बिजली की खपत पर भी पड़ रहा है।
आमतौर पर मानसून में जब तेज बारिश होती है तो ज़्यादातर मोटर बंद हो जाते हैं। मौसम विभाग के अनुसार इस समय तक अगर मानसून सामान्य रहता तो पंजाब में 262 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, जबकि इस समय केवल 151.6 प्रतिशत बारिश हुई है। पिछले 24 घंटों में भी गुरदासपुर जिले को छोड़कर किसी और जिले में अच्छी बारिश नहीं हुई है।