Bansi Lal’s daughter-in-law Kiran Chaudhary is on target
सत्य खबर, चंडीगढ़
हरियाणा के सियासी हलकों में ये कहावत खूब मशहूर है….. हरियाणा के तीन लाल…बंसीलाल…भजनलाल और देवीलाल… माना जाता है कि ये वो परिवार है जिनको दरकिनार कर हरियाणा की राजनीति के बारे में सोचा ही नही जा सकता है। एक समय ऐसा था कि हरियाणा की राजनीति इन्ही तीनो परिवार के इर्द गिर्द घुमा करती थी। हरियाणा की राजनीति में देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल जितने बड़े नेता थे उतने बड़े इन नेताओं के कारनामे भी थे कौन भूल सकता है जब देवीलाल की एक आवज से पूरा हरियाणा उठ खड़ा हुआ था।
लौंगोवाल और राजीव गांधी के समझौते के विरोध में चौधरी देवीलाल ने पूरे हरियाणा को एकजुट कर दिया था SYL के पानी को लेकर हरियाणा में दुबारा इतना बड़ा आंदोलन नही दिखा। ये आंदोलन ही था कि देवीलाल मुख्यमंत्री से देश के उपप्रधानमंत्री बन गए। …वही बंसीलाल की बात करे तो महिलाओं के दर्द को समझते हुए उन्होंने हरियाणा में शराबबंदी लागू कर दी। शराबबंदी तो सफल नही हुई लेकिन उनके प्रशासनिक कौशल का पूरा हरियाणा दीवाना हो गया था। वही भजनलाल के बारे में तो यहाँ तक कहा जाता था कि केंद्र की कांग्रेस सरकार की कुंजी उन्ही के हाथ मे हुआ करती थी जैसे ही सरकार को खतरा होता भजनलाल संकटमोचक बनकर उभर जाते थे।
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तीनो ही नेता हरियाणा के कई बार मुख्यमंत्री रहे और हरियाणा के लोगो की सेवा की । भले ही समय के साथ इन परिवारों का राजनैतिक रसूख वो पहले वाला न रहा हो लेकिन अभी भी इन तीनो परिवारों की धमक हरियाणा के सियासी माहौल में साफ सुनाई पड़ती है। अगर इन लाल परिवारों की बात की जाए तो देवीलाल परिवार की अगर कोई सही नुमाइंदगी हरियाणा में कर रहा है तो वो दुष्यंत चौटाला है जोकि हरियाणा के उपमुख्यमंत्री है। वही भजनलाल परिवार से कुलदीप बिश्नोई तो बंसीलाल परिवार की राजनीतिक वारिश किरण चौधरी है जो हरियाणा की राजनीति में सक्रिय है। हरियाणा के तीनों ही लाल अब इस दुनिया मे नही है ।
यही वजह है कि परिवार की राजनीतिक हैसियत भी अब वो नही रही जो पहले थी।बस यही वो वजह है जिसके चलते बीजेपी ने इन तीनो परिवारों पर नज़र टिका रखी है। दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी पहले ही देवीलाल परिवार को साध चुकी है। इसमें कोई सन्देह नही कि देवीलाल परिवार की सियासी विरासत को संभालने का काम दुष्यंत चौटाला ही करते है। वही भजनलाल परिवार कुलदीप बिश्नोई के ही नाम से जाना जाता है। कुलदीप बिश्नोई को ही भजनलाल का उत्तराधिकारी माना जाता है जबतक भजनलाल जीवित थे तबतक कुलदीप बिश्नोई को भी मजबूत राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में जाना जाता था।Bansi Lal’s daughter-in-law Kiran Chaudhary is on target
कांग्रेस छोड़ने के बाद हजका बनी और कैसे वो बिखर गई सभी को पता है वो फिर कांग्रेस में गए लेकिन अब कांग्रेस को छोड़कर कुलदीप आज नही तो कल बीजेपी में शामिल हो ही जायेंगे। इसे औपचारिकता ही माना जाता है।जिस तरह से बीजेपी ने भजनलाल और देवीलाल परिवार को अपने पाले में डाला है अब कयास लगाए जा रहे है कि देर सबेर बंसीलाल परिवार भी बीजेपी के बगल में बैठा नज़र आएगा। इसको लेकर बीजेपी ने मिशन बंसीलाल परिवार की शुरुआत कर दी है। रही सही कसर कांग्रेस की गुटबाज़ी पूरी कर देगी। जिसकी शुरुआत अजय माकन के उस बयान से हो चुकी है। जिसमे उन्होंने राज्यसभा चुनाव में रद्द हुआ वोट किरण चौधरी का बताया है।
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जब से अजय माकन ने मुह खोला है। किरण चौधरी सफाई देती फिर रही है कि ये वोट उनका नही था। लेकिन यहां बड़ा सवाल उठता है कि आखिर ये वोट किरण चौधरी का नही था तो किसका था। क्या राज्यसभा चुनाव के दौरान किरण चौधरी ने बीजेपी से सेटिंग कर लिया था। ऐसा इसलिए कि वो नही चाहती थी कि कांग्रेस राज्यसभा के चुनाव जीते। क्योंकि अगर काँग्रेज़ चुनाव जीतती तो चुनाव जीताने का पूरा श्रेय भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जाता। ऐसा इसलिये क्योंकि चुनाव की पूरी जिम्मेदारी उन्होंने अपने सिर पर औढ रखी थी। और किरण चौधरी नही चाहती थी कि हुड्डा का कद सोनिया गांधी के सामने बढ़े। यही वो कुछ वजह है जो हो सकता है किरण चौधरी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से हाथ मिलाने पर मजबूर कर दिया हो..ऐसा.हम नही कह रहे बल्कि हुड्डा समर्थकों का यही मानना है।Bansi Lal’s daughter-in-law Kiran Chaudhary is on target
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ऐसे में कुलदीप बिश्नोई की तरह किरण चौधरी कितने दिन कांग्रेस में टिकती है ये तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही बता पाएंगे। क्योंकि कांग्रेस में जिन लोगो ने हुड्डा के लिए गड्डा खोदा है वो खुद उसमे गिरता नज़र आया है। तभी से ये कयास लगाए जाने लगे है कि कंही बीजेपी ही तो नही जिसने हुड्डा खेमे को बताया हो कि राजयसभा चुनाव में रद्द हुआ वोट किरण चौधरी का है । जिससे हुड्डा और किरण चौधरी के बीच का विवाद और गहरा हो जाये। अगर ऐसा हुआ तो किरण चौधरी के लिए बीजेपी के अतिरिक्त कोई दूसरा ठिकाना मिलना मुश्किल होगा। और बीजेपी भी यही चाहती है कि जो बंसीलाल परिवार अभीतक बीजेपी से अछूता है वो परिवार उसके साथ नज़र आए। जिससे वो हरियाणा की राजनीति के तीनों लाल परिवार को अपने पाले में ला सके।
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