सत्य खबर । फरीदाबाद
फरीदाबाद के चर्चित कोर्ट परिसर गोलीकांड में 9 महीने से जेल में बंद बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एवं सीनियर वकील को जमानत मिल गई है। लगभग 14 साल पहले कोर्ट कॉम्पलेक्स में पार्किंग और कैंटीन पर कब्जे को लेकर हुई फायरिंग की घटना में स्थानीय कोर्ट ने 4 वकीलों को 6-6 साल की सजा सुनाई थी।
इसके बाद वकील एलएन पाराशर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। मंगलवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। हालांकि अभी पाराशर घर नहीं आ सकते, क्योंकि वह कोरोना पॉजिटिव हैं और एक निजी अस्पताल में पुलिस कस्टडी में उपचाराधीन है।
घटना 31 मार्च 2006 की है, जब सेक्टर-12 स्थित कोर्ट परिसर में कैंटीन और साइकल स्टैंड पर कब्जे को लेकर 2 पक्षों में विवाद बढ़ गया था। जुबानी जंग हाथापाई तक पहुंची और इसी के साथ एक पक्ष ने अदालत में फायरिंग शुरू कर दी थी। इस घटना में अधिवक्ता राकेश भड़ाना गोली लगने से घायल हो गए थे। कुछ अन्य अधिवक्ताओं को भी चोटें आई थीं। शिकायतकर्ता अधिवक्ता अजयवीर भड़ाना ने 25 लोगों के खिलाफ सेंट्रल थाने में केस दर्ज कराया था। इसमें कई अधिवक्ताओं समेत कुछ बाहरी लोग भी शामिल थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई करते हुए 7 मार्च को अधिवक्ता ओ.पी. शर्मा, गौरव शर्मा, एलएन पराशर व कैलाश वशिष्ठ को फायरिंग व मारपीट का दोषी करार दिया था, जबकि 20 आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इनमें से एक आरोपित रविंद्र फौजी की मौत हो चुकी है।
इस मामले में दोनों पक्षों के 24-24 गवाह पेश किए गए थे। LN पाराशर और OP शर्मा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। 12 मार्च 2020 को सजा पर अंतिम बहस हुई थी। अगले दिन 13 मार्च को अधिवक्ताओं से भरे कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश गर्ग ने चारों दोषियों को 6-6 साल की सजा सुनाते हुए, 3-3 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने चारों वकीलों को सजा सुनाने के बाद जेल भेज दिया। चारों दोषियों को आईपीसी की धारा 307 के तहत 6-6 साल और धारा 506 के तहत 6-6 महीने कि सजा सुनाई गई है। दोनों धाराओं में सुनाई गई सजा एक साथ चलेंगी। वहीं, धारा 307 के तहत सभी पर जुर्माना भी लगाया गया है। इसके बाद लॉकडाउन लागू हो जाने के कारण उन्हें हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई थी।
एडवोकेट एलएन पाराशर के बेटे नीतेश पाराशर ने बताया कि जमानत याचिका के लिए हाईकोर्ट में 5 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी इसके बाद 26 अक्टूबर 11 नवंबर और फिर मंगलवार को 1 दिसंबर को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पाराशर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। हालांकि इस मामले में अन्य एडवोकेट को अभी राहत नहीं मिल पाई है।
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