सत्य खबर/ नई दिल्ली:
राजनीतिक दलों के लिए अब तेलंगाना सबसे बड़ा सियासी अखाड़ा बन गया है। राजनीतिक दलों के नेताओं का कारवां अब दूसरे राज्यों से तेलंगाना की ओर बढ़ चला है। तेलंगाना विधानसभा की 119 सीटों के लिए 30 नवंबर को मतदान होने वाला है। आंध्र प्रदेश से काट कर नया राज्य बनने के बाद से ही तेलंगाना में केसीआर की अगुवाई वाली बीआरएस का प्रभुत्व रहा है। केसीआर इस बार भी तेलंगाना में अपने दुर्ग को बचाए रखने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस तेलंगाना में कर्नाटक जैसा चमत्कार करने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा ने इस बार तेलंगाना में काफी जोर लगाया है और पार्टी मुकाबले को त्रिकोणात्मक बनाने की कोशिश में लगी हुई है।
भाजपा और बीआरएस पर मिलीभगत का आरोप
भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की ओर से मुख्यमंत्री केसीआर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जा रहा है। तेलंगाना की चुनावी सभाओं में कांग्रेस नेता राहुल गांधी केसीआर और उनके परिवार पर जमकर निशाना साध रहे हैं। राहुल गांधी का कहना है कि केसीआर के परिवार के पास ऐसे विभाग हैं जिनके जरिए पैसा कमाया जा सके। इतना ही नहीं उन्होंने कालेश्वरम सिंचाई परियोजना का जिक्र करते हुए एक लाख करोड़ रुपए की लूट करने का बड़ा आरोप भी लगाया। बीआरएस और भाजपा के बीच मौन सहमति है। केसीआर अपने दल के टायरों में हवा भरना चाहते हैं मगर उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि इस मामले में भाजपा उनकी मदद नहीं कर सकती क्योंकि कांग्रेस ने भाजपा के टायरों को पहले ही पंक्चर कर दिया है।
भाजपा दोहरा रही कांग्रेस जुमला
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को हैदराबाद में कहा कि मौजूदा चुनाव में कांग्रेस को वोट देना बेकार है क्योंकि यह पार्टी बाद में बीआरएस से मिल जाएगी। चुनाव के बाद कांग्रेस, बीआरएस और ओवैसी सब एक मंच पर इकट्ठा हो जाएंगे। केसीआर सरकार में तेलंगाना में जमकर भ्रष्टाचार किया गया। अगर तेलंगाना में भाजपा सरकार बनती है तो इन मामलों की गहराई से जांच पड़ताल की जाएगी। इस बार तेलंगाना के मतदाताओं को सोच समझकर विकल्प का फैसला करना चाहिए। तेलंगाना के भविष्य के लिए मौजूदा चुनाव काफी महत्वपूर्ण है और इस चुनाव में भाजपा को राज्य में काफी उम्मीदें हैं।
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भाजपा बिगाड़ सकती है कांग्रेस का खेल
सियासी जानकारों का मानना है कि राज्य में भाजपा की सियासी मजबूती कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। केसीआर विरोधी मतों के बंटवारे से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा ने राज्य की कई विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ा था और वही स्थितियां इस बार भी पैदा होती दिख रही हैं।